लखनऊ: एक बेटा IAS अफसर है, दूसरा बड़ा बिजनेसमैन है, लेकिन पिता वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है। जी हां ताजनगरी आगरा से ये हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। आगरा में एक वृद्ध अपने बीवी और बच्चों के व्यवहार से परेशान हो गए। आखिर में वह वृद्धाश्रम पहुंच गए। रामलाल वृद्धाश्रम के लोगों ने पूछताछ की तो पता चला कि इनका एक बेटा IAS है और दूसरा बेटा बड़ा बिजनेसमैन है। वृद्ध ने वृद्धाश्रम में रह रहे लोगों से अपना दुख साझा किया।
वृद्ध ने कहा कि वे उन्हें घर में नौकर की तरह मानते हैं। घर में कोई भी उससे ठीक से बात नहीं करता और उन्हें लगातार बेइज्जत किया जाता है। वृद्ध ने कहा कि वह रोज-रोज के कलेश व अपनी बेइज्जती से परेशान होकर आश्रम में रहने आए है। वृद्ध की उम्र करीबन 78 वर्ष है और वह बल्केश्वर के रहने वाले है। VRS लेने के बाद वह सेंट्रल बैंक में मैनेजर पद से रिटायर हुए हैं। वृद्ध ने आश्रम के लोगों से कहा कि उनकी करोड़ों रुपए की हवेली है।
इसके बाद भी उनके साथ नौकरों जैसा व्यवहार किया जाता है। परिवार के सभी सदस्य अपनी-अपनी दुनिया में रहते हैं और किसी के पास उनसे बात करने का वक़्त नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा IAS बेटा दूसरे राज्य में काम करता है और उसके पास अपने पिता का हालचाल लेने तक का समय नहीं है। सबसे छोटा बेटा भी लाखों रुपए लेकर उनसे अलग हो गया है। उनकी बीवी अपने बेटे के साथ कमला नगर की एक कोठी में रहती है और रुपए लेने के बाद छोटा बेटा पिता से कुछ नहीं बोलता।
वृद्ध का कहना है कि उसकी बीवी भी ज्यादातर समय अपने सेल फोन में व्यस्त रहती है। जब वे रुकते हैं तो उन्हें काफी जलील किया जाता है। बाद में रामलाल वृद्धाश्रम के मालिक शिवकुमार शर्मा ने फोन कर परिजनों को जानकारी दी। जब परिजनों को पता चला कि वृद्ध आश्रम आ रहे हैं तो बुजुर्ग के परिजन 27 मई को आश्रम आ गए। लिखित समझौता करने के बाद परिजन वृद्ध को अपने साथ घर ले गए। लकिन यह मामला आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
….. बहरहाल, यह कोई पहला मामला नहीं है। इस तरह के अनेकों मामले अक्सर देखने-सुनने को मिल जाते है। हर मां-बाप का यही सपना होता है कि उनके बच्चे खूब पढ़ लिख कर तरक्की करेंगे और बुढ़ापे में उनका सहारा बनेंगे। अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने में मां-बाप अपनी ज़िंदगी कुर्बान कर देते है। लेकिन इसी बीच कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो बुढ़ापे में अपने माता-पिता को बोझ समझने लगते है। बूढ़े माता-पिता की लाचारी की कुछ कहानियां हमारी आत्मा को झकझोर करके रख देती हैं।
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