जोशीमठ जिले के लिए 47 साल पहले ही दे दी गई थी चेतावनी, मिश्रा आयोग ने बताई थी जमीन धंसने की वजह

देहरादून। पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड के जोशीमठ जिले में जमीन धंसने की घटनाए लगातार बढ़ती जारी रही हैं। आपको जानकार हैरानी होगी की जोशीमठ के आज के हालात के लिए 47 साल पहले ही चेता दिया गया था। दरअसल 1975 में यूपी सरकार में गढ़वाल के कमिश्नर रहे मुकेश मिश्रा के नेतृत्व में एक आयोग बनाया था। इस मिश्रा आयोग ने यहां पर भविष्य में आने वाले मुसीबतों के लिए चेता दिया था। लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

कई जगहों से धंस रही है जोशीमठ की जमीन

जोशीमठ की धरती कई जगहों से धंस रही है। यहां पर सैंकड़ों घरों में पड़ रही दरारों के चलते वे कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं। जिसकी वजह से लोगों के साथ-साथ वहां पर भारतीय जनता पार्टी की धामी सरकार भी चिंतित है। इस घटना पर देश दुनिया की कई पर्यवरणविदों की नजर है, सब यहीं जानना चाहते हैं कि यहां की धरती क्यों धंस रही है।

भू-धंसाव की चपेट में हैं जोशीमठ के कई वार्ड

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में मकानों और सड़कों पर दरारें पड़ रही हैं। इस स्थिति ने सभी को चिंता में डाल दिया है। वहां हो रहे भू-धंसाव ने सभी वार्डों को अपने चपेट में ले लिया है। इस कारण वहां का जिला प्रशासन लोगों को कहीं ओर शिफ्ट कर रहा है। इसके अलावा जमीन से निकल रहा पानी अब खेतों तक जाने लगा है, इस आपदा पर साधु-संतों ने भी चिंता जाहिर की है। दरअसल यहां पर पड़ रही दरारों के कारण प्रशासन की तरफ से बड़ा फैसला लेते हुए इस जिले में किसी भी तरह के निर्णाण कार्य पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा सभी लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है।

एनटीपीसी पावर-प्रोजेक्ट में टनल का निर्माण

बता दें कि जोशीमठ शहर में एनटीपीसी पावर-प्रोजेक्ट के टनल का निर्माणकार्य चल रहा है। ऐसे में लोगों का कहना है कि इसी वजह से यहां पर ऐसी घटनाए हो रही हैं। वहीं यहां पर चल रहे एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगार्ड परियोजना में इंजीनियरों ने ब्लास्टिंग की जगह टीवीएम मशीन का उपयोग किया। इसके पीछे यही कारण था की ये शहर को प्रभावित नहीं करें। ऐसे में साल 2009 तक टीवीएम मशीन सुरंग बनाती रही, लेकिन इसके बाद ये खुद जमीन में धंस गई। 24 सितंबर 2009 वो पहला दिन था जब टीवीएम मशीन अटकी। इसके बाद 6 मार्च 2011 को यहां पर फिर काम शुरु हुआ, जिसको 1 फरवरी 2012 को फिर बंद करना पड़ा। इसी तरह कई बार काम शुरु हुआ और उसके रोकना पड़ा।

1 साल के अध्ययन के बाद तैयार हुई रिपोर्ट

गौरतलब है कि 70 की दशक में चमोली में एक बाढ़ आई थी। इसके बाद से ही यहां पर लगातार भूं-धंसाव की घटनाए हो रही हैं। उस समय उत्तराखंड यूपी का हिस्सा हुआ करता था। जमीन धंसने की घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार में गढ़वाल के कमिश्नर रहे मुकेश मिश्रा के नेतृत्व में एक आयोग बनाया था। इस मिश्रा आयोग का मुख्य कार्य ये था कि यहां पर हो रही जमीन धंसने के कारणों का पता लगाए। इस आयोग में भू-वैज्ञानिक, प्रसाशन, इंजीनियर के साथ-साथ प्रशासन के कई अधिकारियों को शामिल किया गया था। इस आयोग ने एक साल के अध्ययन के बाद सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

मिश्रा रिपोर्ट में इन बातों का हुआ था जिक्र

इस मिश्रा रिपोर्ट में कहा गया कि, जोशीमठ शहर रेतीली चट्टान पर बसा हुआ है, जिसके कारण इस जिले के तलहटी पर कोई बड़ा निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट में ब्लास्ट और खनन का जिक्र करते हुए कहा गया था कि यहां पर ये सब नहीं किया जाए। इसके अलावा अलकनंदा नदी के तट पर सुरक्षा वॉल का निर्माण भी किया जाए। इन सभी रिपोर्टों को उस समय की राज्य सरकार ने दरकिनार कर दिया था, जो आज की तबाही की बड़ी वजह बनी।

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