नई दिल्ली। दिल्ली में अगले कुछ दिनों तक गंभीर वायु प्रदूषण के कारण आपको सांस लेने में परेशानी हो सकती है। वहीं रिकॉर्ड गर्मी के कारण हवा में ओजोन की मात्रा बढ़ रही है, जो ज्यादा देर तक धूप में रहने पर आपके लिए घातक साबित हो सकती है। दिल्ली और एनसीआर में हवा में प्रदूषण के स्तर पर नजर रखने वाले पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था सफर की रिपोर्ट के मुताबिक एक बार फिर दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर अगले तीन दिनों में मानकों को पार कर जाएगा। हवा में ओजोन की बढ़ती मात्रा आपकी मुश्किल को बढ़ा सकती है।
सफर की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार दोपहर दिल्ली के कई इलाकों में हवा में ओजोन का स्तर मानकों से ऊपर दर्ज किया गया। वायु गुणवत्ता सूचकांक में पूसा में ओजोन का स्तर 258 पर पहुंच गया। जो मानकों से अधिक है। मानकों के तहत एक्यूआई में हवा में ओजोन का स्तर 100 से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह, आईआईटी दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में ओजोन का स्तर 217 के आसपास दर्ज किया गया था। नोएडा में यह 197 के करीब रहा।
दिल्ली में हवा में पीएम 2.5 का औसत स्तर 70 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। अगले तीन दिनों में बढ़कर 90 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होने की संभावना है। नियमों के तहत हवा में पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह हवा में पीएम 10 का स्तर 227 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। अगले तीन दिनों में इसके 295 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के स्तर तक पहुंचने की संभावना है। मानकों के तहत हवा में इसका स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी का कहना है कि गर्मियों में प्रदूषण सर्दियों से काफी अलग होता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि गर्मियों में दर्ज किए गए प्रदूषण में धूल के कण अधिक होते हैं। सर्दियों के प्रदूषण में धूल की मात्रा 15 प्रतिशत तक होती है, जबकि गर्मियों में यह मात्रा बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाती है। अनुमिता का कहना है कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हवा में ओजोन का बढ़ता स्तर बेहद खतरनाक है। ओजोन प्रदूषण का कोई विशिष्ट स्रोत नहीं है। अत्यधिक गर्म मौसम में, वाहनों और बिजली संयंत्रों से निकलने वाला धुआं ओजोन बनाने और हवा में ओजोन के स्तर को बढ़ाने के लिए एक दूसरे के साथ बातचीत करता है।
अनुमिता रॉय चौधरी के अनुसार, अरावली और रिज क्षेत्रों में पेड़ों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ हमें दिल्ली और एनसीआर के आसपास पेड़ों की हरी दीवार बनानी होगी। पेड़ धूल भरी आंधी के प्रभाव को बहुत कम कर देते हैं। साथ ही, शहर में वाहनों की संख्या कम करने और सड़कों और फुटपाथों को सुधारने से भी प्रदूषण में कमी आएगी। सड़कें टूटने पर धूल अधिक उड़ती है।
दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉ नरेंद्र सैनी के मुताबिक हवा में ओजोन के स्तर का बढ़ना बेहद खतरनाक है। इसका सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। हवा में ओजोन बढ़ने से सीने में दर्द, खांसी, गले में जलन और सांस लेते समय वायुमार्ग में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी हो सकती है। ओजोन ब्रोंकाइटिस, अस्थमा आदि को बदतर बना सकता है। ओजोन हृदय रोग का कारण बन सकता है जो हृदय को प्रभावित कर सकता है। लंबे समय तक शरीर में ओजोन के संपर्क में रहने से कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।
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