रंगभरी एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ के सिर पर एक शाही पगड़ी होगी. लल्लापुरा के गयासुद्दीन और उनका परिवार इस शाही पगड़ी को तैयार कर रहे हैं. गयासुद्दीन के पूर्वज भी बाबा के लिए पगड़ी बनाते थे जिसके बाद अब गयासुद्दीन के कंधों पर इस शुभ कार्य का जिम्मा है.
वाराणसी: रंगभरी एकादशी पर अपनी गौना बरात में बाबा विश्वनाथ के सिर पर एक खास पगड़ी होगी. इस रेशमी शाही पगड़ी को सोहर्द की मिसाल पेश कर रहे गयासुद्दीन और उनका परिवार तैयार कर रहा है. लल्लापुरा के गयासुद्दीन परिवार के पास सात पुश्तों से शाही पगड़ी बनाने का जिम्मा है. गयासुद्दीन के पूर्वज भी बाबा के लिए पगड़ी बनाते थे जिसके बाद अब इसकी जिम्मेदारी गयासुद्दीन के कंधों पर है.
गौरतलब है कि इस साल 26 फरवरी के दिन रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी. वैसे तो पूरा देश इसे मनाता है लेकिन काशी में इसका अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यह वही दिन है जिस रोज माता पार्वती से विवाह करने के बाद बाबा विश्वनाथ पहली बार काशी की भूमी पर आए थे. बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती के गौने में होली खेलने के बाद काशी में होलिकोत्सव शुरू हो जाता है.
गौने के समय बाबा को धोती-कुर्ता और सिर पर शाही पगड़ी पहनकर पालकी पर सवार होकर निकलेंगे. बाबा की शाही पगड़ी गयासुद्दीन और उनका परिवार तैयार कर रहा है. इस बारे में गयासुद्दीन का कहना है कि करीब 300 सालों से उनका परिवार बाबा की खास शाही पगड़ी को तैयार कर रहा है. काशी विश्वनाथ मंदिर बनने से भी पहले आदि विश्वेश्वर मंदिर के जमाने से गयासुद्दीन का परिवार ही बाबा के लिए शाही पगड़ी तैयार कर रहे हैं. गयासुद्दीन का कहना है कि जब तक उनके घर में यह कला रहेगी बाबा के लिेए पगड़ी बनती रहेगी.
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