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उत्तराखंड में UCC: लिव-इन रिलेशन के मजे भूल जाइये, अब विवाह की तरह रजिस्ट्रेशन और संपत्ति में अधिकार

उत्तराखंड में इस महीने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने की संभावना है। यूसीसी लागू होने से प्रदेश में सभी जातियों, धर्मों और समुदायों के लिए व्यक्तिगत कानूनों को हटाकर एक समान कानून लागू किया जाएगा। यह महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित और समानता प्रदान करेगा।

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UCC rules Uttarakhand, Uniform Civil Code
  • January 15, 2025 11:24 am Asia/KolkataIST, Updated 2 weeks ago

देहरादून: उत्तराखंड में इस महीने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने की संभावना है। जानकरी के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 26 जनवरी को देहरादून के परेड ग्राउंड से इसकी घोषणा कर सकते हैं। यूसीसी लागू होने से प्रदेश में सभी जातियों, धर्मों और समुदायों के लिए व्यक्तिगत कानूनों को हटाकर एक समान कानून लागू किया जाएगा। इससे विवाह, लिव-इन रिलेशन और संपत्ति के नियमों में बदलाव होंगे।

20 हजार कर्मचारियों की ट्रेनिंग

यूसीसी को पूरी तरह लागू करने के लिए राज्य सरकार बड़े स्तर पर तैयारियां कर रही है। लगभग 2,000 कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने तीन सहायता केंद्र स्थापित किए हैं। वहीं सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी तकनीकी सहायता देगी, कॉमन सर्विस सेंटर प्रशिक्षण में मदद करेगा और अभियोजन विभाग कानूनी सहायता प्रदान करेगा। इसके तहत ही सोमवार से अधिकारियों को यूसीसी पोर्टल के उपयोग और उससे संबंधित प्रक्रियाओं की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। पोर्टल को प्रभावी बनाने के लिए गवाहों की वीडियो रिकॉर्डिंग, फोटो और आधार विवरण जैसी प्रक्रियाओं को भी जोड़ा जाएगा।

लिव-इन रिलेशन के लिए नए नियम

यूसीसी के तहत, लिव-इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों का विवाह की तरह रजिस्ट्रेशन होगा। इसमें पार्टनर्स के नाम, उम्र, धर्म, राष्ट्रीयता, पूर्व संबंध की स्थिति और फोन नंबर जैसे विवरण दर्ज करना अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया विवाह रजिस्ट्रेशन की तरह होगी। लिव-इन रिलेशन से जुड़े कानूनी विवादों को कम करने और उनके बच्चों को कानूनी अधिकार सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे बच्चों को संपत्ति और पारिवारिक अधिकारों में समानता मिलेगी।

एक समान कानून लागू

यूसीसी लागू होने के बाद सभी समुदायों के लिए एक समान कानून लागू होगा। यह महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित और समानता प्रदान करेगा। इसके साथ ही, उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां यह कानून लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह प्रदेश को प्रगति और समानता की नई दिशा देगा।

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