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उत्तराखंड में बनेगा देश का पहला साउंडप्रूफ एक्सप्रेसवे, जानें ऐसा कैसे होगा संभव

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जोड़ने के लिए देश का पहला साउंडप्रूफ एक्सप्रेसवे बनने की तैयारियां हो रही है. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के वैज्ञानिकों ने इस पूरे क्षेत्र को साउंडप्रूफ बनाने के लिए विशेष तकनीक विकसित की है।

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Delhi dehradun soundproof expressway
  • January 8, 2025 3:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 19 hours ago

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जोड़ने के लिए देश का पहला साउंडप्रूफ एक्सप्रेसवे बनने की तैयारियां हो रही है. बता दें दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे न केवल आधुनिक तकनीक से लैस होगा, बल्कि इसे इस तरह डिजाइन किया गया है, जिससे वन्यजीवों और पर्यावरण पर इसका कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

शिवालिक के जंगलों से होकर गुजरेगा

यह एक्सप्रेसवे उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क और शिवालिक के जंगलों के बीच से होकर गुजरेगा, लेकिन जंगल में रहने वाले जानवरों को न तो वाहनों की आवाज सुनाई देगी और न ही हाईवे पर लगी लाइटों की रोशनी का उन पर असर पड़ेगा। बता दें एक्सप्रेसवे का लगभग 12 किलोमीटर का हिस्सा इन जंगलों के बीच एलिवेटेड रूप में बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य वाहनों और वन्यजीवों के बीच किसी भी प्रकार के टकराव को रोकना है।

नॉन स्कैटरिंग लाइट्स की व्यवस्था

भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के वैज्ञानिकों ने इस पूरे क्षेत्र को साउंडप्रूफ बनाने के लिए विशेष तकनीक विकसित की है। इससे एक्सप्रेसवे पर चलने वाले वाहनों की आवाज जंगल में विचरण करने वाले जानवरों तक नहीं पहुंचेगी। इसके साथ ही वन्यजीवों पर रोशनी के प्रभाव को कम करने के लिए एक्सप्रेसवे पर 800 नॉन-स्कैटरिंग लाइट्स लगाई जाएगी। इन लाइट्स को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि उनकी रोशनी केवल सड़क पर केंद्रित रहेगी और जंगल में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे रात के समय भी जानवर बिना किसी परेशानी के घूम सकेंगे।

पर्यावरण और विकास का संतुलन

भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट पर गहन शोध और परीक्षण के बाद यह तकनीक लागू की है। हाईवे का निर्माण इस बात को ध्यान में रखकर किया जा रहा कि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण के बीच संतुलन बना रहे। यह एक्सप्रेसवे विकास और पर्यावरण संरक्षण के एक सफल उदाहरण के रूप में उभरेगा। वहीं हाईवे के ऊपर वाहनों की आवाज और रोशनी का असर नीचे जंगल में बिल्कुल नहीं होगा, जिससे जंगली जीवों को कोई परेशानी नहीं होगी।

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