देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे मजदूरों को निकलने में 100 घंटे पूरे होने वाले हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है. सुरंग में 40 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं और इस स्थिति में मजदूरों के परिजनों का धैर्य जवाब देने लगा है. वहीं मजदूरों को बाहर निकालने की प्रक्रिया […]
देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे मजदूरों को निकलने में 100 घंटे पूरे होने वाले हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है. सुरंग में 40 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं और इस स्थिति में मजदूरों के परिजनों का धैर्य जवाब देने लगा है. वहीं मजदूरों को बाहर निकालने की प्रक्रिया निर्माण एजेंसी की तरफ से तेज किया गया है।
आपको बता दें कि 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल सुबह करीब चार बजे धंस गई थी. एनएचआईडीसीएल, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ, एनडीआरएफ और नेशनल हाईवे की दो सौ से अधिक लोगों की टीम फंसे लोगों के रेस्क्यू के लिए 24 घंटे पूरी तरह से काम कर रही है. इसके बावजूद भी सुरंग में फसे हुए मजदूरों में से एक भी मजदूर को नहीं निकाला जा सका है. मजदूरों के न निकाले की वजह से लोगों में चिंता और आक्रोश दोनों अब दिखने लगा है।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसके अंदर पिछले 90 घंटों से अधिक समय से फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बुधवार को दिल्ली से विमानों के जरिए एक भारी ऑगर मशीन चिन्यालीसौड़ लाई गई. इस मशील के आने के बाद रेस्क्यू मिशन तेज होने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं अधिकारियों की तरफ से इस कार्य को लेकर तैयारी पूरी की गई है।
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