यह बताया जा रहा है कि यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है, हालांकि कुछ स्थानों पर यह 250 साल पुराना भी बताया गया है। लगभग 50 साल पहले एक व्यक्ति, जिसका नाम वाजिद अली था, चौकीदार के रूप में यहाँ आया और धीरे-धीरे उसने पूरे मंदिर पर कब्जा कर लिया।
नई दिल्ली: यह बताया जा रहा है कि यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है, हालांकि कुछ स्थानों पर यह 250 साल पुराना भी बताया गया है। लगभग 50 साल पहले एक व्यक्ति, जिसका नाम वाजिद अली था, चौकीदार के रूप में यहाँ आया और धीरे-धीरे उसने पूरे मंदिर पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उसने मूर्तियों को गायब करवा दिया और पूजा भी बंद करवा दी। बाद में मंदिर को एक मकान में तब्दील कर दिया गया और उस पर इस्लामी झंडा लगा दिया गया। हाल ही में जब मंदिरों पर कब्जे की खबरें सामने आईं, तब इस मंदिर का भी पता चला। प्रशासन ने मामले की जांच की और मकान को खाली करने का आदेश दिया। इसके बाद हिंदू संगठनों के सदस्य सक्रिय हुए और मकान पर लगे हरे झंडे को हटा कर भगवा ध्वज लगा दिया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह घटना बरेली के किला थाना क्षेत्र के कटघर इलाके से जुड़ी है। यहाँ के निवासी राकेश सिंह का दावा है कि लगभग डेढ़ सौ साल पहले उनके पूर्वजों ने गंगा महारानी का एक मंदिर बनवाया था, जिसमें कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गई थीं। बहुत जल्द यह मंदिर आसपास के हिंदू समुदाय के लिए आस्था का केंद्र बन गया और यहाँ नियमित पूजा होती थी।
गंगा मंदिर पर “ वाजिद अली ” ने कब्जा करके मंदिर को " मस्जिद " का रूप दे दिया था।
वाजिद ने मंदिर से मां गंगा की मूर्ति वा शिवलिंग हटाकर इस्लामिक झंडा फहराया था।
अब योगी सरकार ने बरेली के मंदिर को मुक्त कराकर भगवा फहरवा दिया 🔥
हर हर महादेव 💪🚩 pic.twitter.com/fZKeD9cgio
— Shri Aacharya Ji (@IMightyWarrior) December 21, 2024
राकेश सिंह का कहना है कि लगभग 50 साल पहले इस मंदिर के एक कमरे को सहकारी समिति को किराए पर दे दिया गया था। इस समिति ने वाजिद अली को रख-रखाव और देखभाल के लिए चौकीदार के रूप में नियुक्त किया। आरोप है कि वाजिद अली ने धीरे-धीरे सहकारी समिति के कमरे और बाद में पूरे मंदिर पर कब्जा कर लिया। उसने यहाँ रखी मूर्तियों को गायब कर दिया और पूजा अर्चना भी बंद करवा दी।
राकेश सिंह द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद, हिंदू संगठन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। अब वहाँ वाजिद अली के बेटे रहते हैं। हिंदू कार्यकर्ताओं ने मकान पर लगे हरे झंडे को हटाकर भगवा ध्वज लगा दिया और छत पर खड़े होकर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए। इस मामले के दो समुदायों से जुड़ा होने के कारण पुलिस और प्रशासन तुरंत सक्रिय हो गए और वहाँ सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए। इसके बाद, राकेश सिंह और वाजिद अली के बेटों के बयान दर्ज किए गए।
प्रशासन की जांच में यह पाया गया कि वाजिद अली और उसके बेटे अवैध तरीके से मकान में काबिज थे और सहकारी समिति के सदस्य नहीं थे। इसी आधार पर प्रशासन ने उन्हें मकान खाली करने का आदेश दिया और नोटिस भी चस्पा कर दी। एसडीएम गोविंद मौर्य के मुताबिक, मुस्लिम पक्ष ने अपनी मर्जी से मकान को खाली कर दिया है। फिलहाल मकान को सील कर दिया गया है और राकेश सिंह के दावों की जांच जारी है। राकेश सिंह ने उम्मीद जताई है कि वाजिद अली द्वारा कब्जाए गए उनके मंदिर में फिर से पूजा-अर्चना शुरू हो सकेगी।