लखनऊ : जीजा-साली के बीच संबंध होना गलत है, लेकिन अगर साली बालिग है और जीजा के साथ अवैध संबंध सहमति से है तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस समीर जैन की बेंच ने दुष्कर्म के एक मामले में की। कोर्ट ने फैसला लेते हुए एक मामले में पीड़िता के जीजा को जमानत दे दी। याचिका में युवक के खिलाफ दुष्कर्म की धाराओं में केस दर्ज कराया गया था। कहा गया था कि साली को शादी का झांसा देकर बहला-फुसलाकर उसका शारीरिक शोषण किया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जीजा-साली के बीच का संबंध अनैतिक हैं, हालांकि, अगर महिला बालिग है तो वह संबंध दुष्कर्म नहीं। जस्टिस समीर जैन की बेंच ने आरोपी जीजा को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। उसके खिलाफ धारा 366, 376, 506 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि उसने अपनी साली (पत्नी की बहन) को शादी का झूठा वादा करके बहला-फुसलाकर भगा ले गया।
आवेदक (जीजा ) के लिए जमानत मांगते हुए, उसके वकील ने एकल न्यायाधीश के समक्ष तर्क दिया कि उसके मुवक्किल पर झूठा आरोप लगाया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि साली (कथित पीड़िता) और जीजा (आवेदक) के बीच अवैध संबंध बने थे। जब यह बात संज्ञान में आया, तो उसने वर्तमान मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई। यह भी कहा गया कि पीड़िता एक वयस्क है, जिसने पहले अपने धारा 161 सीआरपीसी बयान में आरोपों से इनकार किया था। हालांकि, बाद में उसने धारा 164 सीआरपीसी के तहत अपना बयान बदल दिया और अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन किया था।
एजीए ने जमानत के लिए याचिका का विरोध किया, लेकिन इस तथ्य पर विवाद नहीं कर सकता कि कथित पीड़िता एक वयस्क है और रिकॉर्ड से यह नहीं दिखाया जा सकता है कि वह सहमति देने वाली पक्ष नहीं थी। न्यायालय ने आरोपी के खिलाफ आरोपों, दोनों पक्षों द्वारा रखें गए तर्कों और इस तथ्य को ध्यान में रखा कि कथित पीड़िता ने शुरू में आवेदक के खिलाफ आरोपों से इनकार किया था, लेकिन बाद में अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन करते हुए कहा कि उसने आवेदक के साथ संबंध बनाए और उससे शादी की। इसे देखते हुए, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि उनका रिश्ता अनैतिक था, लेकिन यह रिश्ता बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा क्योंकि कथित पीड़िता एक वयस्क है।
इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी देखा कि आवेदक के वकील ने स्वीकार किया कि आवेदक और पीड़िता के बीच अवैध संबंध विकसित हुआ था। इस आधार के खिलाफ, यह देखते हुए कि आरोपी आवेदक को जुलाई 2024 में गिरफ्तार किया गया था और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, न्यायालय ने उसकी याचिका स्वीकार कर ली और उसे जमानत दे दी।
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