हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहते हैं। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है और इस दिन गंगा स्नान करने का विधान है।
नई दिल्ली : माघ पूर्णिमा के दिन कहा जाता है कि अगर पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाए और फिर सूर्य देव को जल अर्पित किया जाए तो जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने की भी परंपरा है और इससे देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस साल माघ पूर्णिमा व्रत कब रखा जाएगा?
हिंदी पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 6:55 बजे से शुरू होकर 12 फरवरी को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा का व्रत 12 फरवरी, बुधवार को रखा जाएगा।
माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:19 बजे से 6:10 बजे तक रहेगा। इस दिन व्रत रखने वाले लोग चंद्रमा को जल अर्पित करके अपना व्रत खोलते हैं। 12 फरवरी यानी माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 6:32 बजे है।
प्रयागराज के तट पर कई कल्पवासी मौजूद रहते हैं और माघ पूर्णिमा कल्पवास का आखिरी दिन होता है. इस दिन अगर व्यक्ति गंगा स्नान कर भगवान विष्णु की भक्ति और पूजा-अर्चना करता है तो इसे बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद दान करना बेहद पुण्यकारी माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दान करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आ रही परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है. इतना ही नहीं व्यक्ति को आर्थिक संकटों से भी छुटकारा मिलता है.
माघ पूर्णिमा (12 फरवरी 2025 ) के स्नान के बाद महाकुंभ का समापन हो जायेगा। हालांकि आप महाकुंभ में जा के स्नान कर सकेंगे 26 फरवरी तक यह आयोजन शुरू रहेगा।
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