यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने के लिए जारी हुए सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद समाजवादी अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बयान दिया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि उन्होंने सरकार से समय मांगा है ताकि वे किराय का घर ढूंढ सकें या नए घर का निर्माण करवा सकें.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले छोड़ने के लिए जारी हुए सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद सूबे में सियासी ड्रामा मचा हुआ है. दरअसल इन बंगलों में एक आवास यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के नाम पर भी आवंटित था. ऐसे में अखिलेश यादव ने अपना सरकारी बंगला छोड़ने को लेकर एक बयान दिया है. इस मामले में उन्होंने कहा कि है कि सरकार से मैंने बंगला खाली करने के लिए समय मांगा है, ताकि मैं अपने लिए कोई किराय का मकान खोज सकूं या खुद के घर का निर्माण करवा सकूं.
गौरतलब है कि बीते दिनों अखिलेश यादव के पिता और समाजवादी परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव भी बंगले की बातचीत को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने गए थे. लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर थी कि अखिलेश यादव ने ही मुलायम सिंह यादव को सीएम योगी से मुलाकात करने के लिए कहा था. जिसकी बेटे की बात मानते हुए मुलायम योगी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे. दोनों के बीच करीब आधा घंटा बातचीत हुई थी.
साल 2015 अगस्त में सूप्रीम कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने का आदेश दिया था. लेकिन उस समय मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से बचने की कोशिश की थी. लेकिन बीते 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास देने के प्रावधान को खत्म कर दिया था. कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए फैसला दिया था. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री भी आम इंसान ही हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, नारायण दत्त तिवारी और बसपा सुप्रीमो मायावती को बंगला खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया. दूसरी ओर कोर्ट के आदेश के बाद ही मायावती के निवास के बाहर बोर्ड लगा दिया गया. जिसमें लिखा था कि कांशीराम जी यादगार विश्राम. इस मामले एक बसपा नेता ने बताया कि पार्टी की ओर से यह कदम इसलिए उठाया गया, क्योंकि इस बंगले से स्थापक माननीय कांशीराम जी की कई यादें जुड़ी हुई हैं.
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