लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चर्चित कारतूस कांड में कोर्ट ने 12 अक्टूबर को सीआरपीएफ के दो हवलदारों समेत 24 आरोपियों को दोषी करार दिया, साथ ही सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कोर्ट उन्हें आज सजा सुनाएगा। वहीं मुख्य आरोपी यशोदानंदन की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी है. वहीं दोषियों […]
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चर्चित कारतूस कांड में कोर्ट ने 12 अक्टूबर को सीआरपीएफ के दो हवलदारों समेत 24 आरोपियों को दोषी करार दिया, साथ ही सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कोर्ट उन्हें आज सजा सुनाएगा। वहीं मुख्य आरोपी यशोदानंदन की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी है. वहीं दोषियों में 4 नागरिक और 20 पुलिस, पीएसी एवं सीआरपीएफ के कर्मचारी शामिल हैं. मुख्य आरोपी यशोदानंदन की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी है।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ कर्मियों पर नक्सलियों के हमले के बाद स्पेशल टास्क फोर्स को पता चला था कि पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों को दिए जाने वाले कारतूसों को नक्सलियों को बेचा जा रहा है। वहीं नक्सलियों द्वारा इस हमले में 9 एमएम की गोली का इस्तेमाल किया गया था. इस इनपुट के आधार पर स्पेशल टास्क फोर्स ने 29 अप्रैल 2010 को सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र से प्रयागराज पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन, सीआरपीएफ के दो हवलदार विनोद एवं विनेश पासवान को अरेस्ट किया। स्पेशल टास्क फोर्स ने उनके पास से बड़ी तादाद में कारतूस, इंसास राइफल एवं नकदी बरामद किया था।
सुरक्षाबलों के कारतूस की नक्सलियों के हाथ बेचे जाने के मामले में एसटीएफ के इंस्पेक्टर आमोद कुमार सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन की डायरी से अन्य आरोपियों के नाम सामने आए। जिसके बाद मुरादाबाद पीटीएस में तैनात आर्मरर नाथीराम सैनी समेत बस्ती, बनारस एवं गोंडा समेत कई जिलों से पुलिस और पीएसी के आर्मरर अरेस्ट किए गए थे। वहीं सपा सरकार ने केस वापस लेने की कवायद शुरू की लेकिन उसके पत्र पर अभियोजन पक्ष और कोर्ट ने आपत्ति जताई जिसको बाद केस वापस नहीं हो सका।
साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने सीआरपीएफ की ही गोलियों से सीआरपीएफ के 76 जवानों को भून दिया था। इस बात का खुलासा रिटायर्ड दरोगा मुख्य आरोपी यशोदानंदन की डायरी से हुआ था।
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