उत्तर प्रदेश (पश्चिम) के कासगंज स्थित ठाकुर बहुल इलाके से अपनी बारात निकाले जाने को लेकर दलित युवक संजय कुमार कहते हैं, 'जब संविधान कहता है कि हम सब बराबर हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि हम सब हिंदू हैं तो फिर मुझे ऐसी स्थिति का सामना क्यों करना पड़ रहा है?' दरअसल गांव के ठाकुर परिवार दलित युवक द्वारा उनके क्षेत्र से बारात निकाले जाने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि पिछले 20 वर्षों से उनके इलाके से जब किसी दलित की बारात नहीं निकली है तो विवाद वाला काम क्यों किया जा रहा है? उन्हें उसी रास्ते से बारात ले जानी चाहिए जो पहले से निर्धारित है.
हाथरस/कासगंजः उत्तर प्रदेश (पश्चिम) के हाथरस जिले के बसई बाबस गांव के रहने वाले दलित युवक संजय कुमार की शादी में करीब 20 दिन बचे हैं लेकिन उनकी शादी एक नए विवाद से जूझ रही है. दरअसल संजय की होने वाली पत्नी कासगंज के निजामाबाद की रहने वाली हैं, जोकि एक ठाकुर बहुल गांव है. संजय चाहते हैं कि उनकी बारात गांव से होकर निकले लेकिन ठाकुर समुदाय इसका विरोध कर रहा है. उनका कहना है कि जब उनके इलाके वाले रास्ते पर पहले कभी बारात आई ही नहीं तो ये नई मांग क्यों की जा रही है. जो रास्ता दलितों की बारात के लिए इस्तेमाल होता है, वहीं से बारात ले जानी चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय इस बाबत सरकारी कार्यालयों, पुलिस, एससी-एसटी कमीशन, मीडिया से लेकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और अदालत तक को चिट्ठी लिख चुके हैं. संजय का सवाल है, ‘क्या मैं हिंदू नहीं हूं. जब देश का संविधान कहता है कि हम सब समान हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जोकि हिंदुत्व पार्टी के सीएम हैं, कहते हैं कि हम सब हिंदू हैं. अगर ऐसा है तो फिर मुझे इस तरह की परेशानी का सामना क्यों करना पड़ रहा है? मैं हिंदू नहीं हूं क्या? संविधान से चलने वाली सरकार में लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते.’
संजय की मांग पर पिछले हफ्ते कासगंज के जिलाधिकारी और एसएसपी ने भी दुल्हन के गांव का दौरा किया था. जांच के बाद उन्होंने संजय से कहा कि जिस रास्ते से बारात ले जाने की मांग की जा रही है, उसकी गलियां संकरी और रास्ते पर नालियों के कारण कीचड़ भरा हुआ है. जांच में यह भी पाया गया है कि इन रास्तों से पिछले 20 वर्षों से किसी भी दलित की बारात नहीं गुजरी है, लिहाजा ऐसे में वहां से बारात निकाले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. लड़की के परिजन भी बारात को उसी इलाके से निकालने की मांग पर अड़े हैं.
गांव की प्रधान और ठाकुर समुदाय की कांति देवी ने कहा कि लड़की की शादी से उन्हें कोई परेशानी नहीं है मगर कोई जबरदस्ती हमारे रास्ते पर आएगा और दीवार तोड़ने की बात कहेगा तो यह कैसे संभव होगा. कांति देवी ने कहा कि पिछले दो दशकों से जब किसी दलित की बारात कभी हमारे रास्ते से निकली नहीं है तो विवाद वाला काम क्यों किया जा रहा है? डीएम का इस बारे में कहना है कि हिंदुओं में शादी एक भावना होती है, न कि कोई जुलूस. दलित परिवार इस मांग को लेकर बेवजह लड़ाई का मुद्दा बना रहे हैं. डीएम ने कहा कि वह गांव की परंपरा नहीं बदल सकते. दूसरी ओर क्षेत्रीय विधायक भी ठाकुरों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि बारात निकालने की मांग पर अड़ा दलित परिवार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से ताल्लुक रखता है, लिहाजा इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की भी भरपूर कोशिश की जा रही है.
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