लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के सिकंदराबाद तहसील में प्राचीन मंदिर है, यहां मंदिर में कुत्ते की समाधि स्थल पर लोग श्रद्धा के फूल चढ़ाने पहुंचते हैं. बताया जा रहा है कि करीब 100 साल पहले मंदिर में अक्षम लतुरिया बाबा रहते थे और उनके साथ एक कुत्ता भी रहता था. अक्षम लतुरिया बाबा के पास आंखों से देख पाने में अपार सिद्धियां थीं. बाबा के लिए जरूरत का सामान बाजार से कुत्ता लाता था. लतुरिया बाबा कुत्ते के गले में थैला डाल दिया करते थे और इस वफादारी के कारण बाबा को कुत्ता बहुत प्रिय था।
प्राण त्यागने से पहले लटूरिया बाबा ने अपनी आखिरी इच्छा बताई थी. लटूरिया बाबा ने कहा था कि मरने के बाद मेरे साथ प्रिय भक्त कुत्ते को भी पूजा जाए. लटूरिया बाबा के समाधि के समय अजीब घटना हुई. इस दौरान लटूरिया बाबा के साथ कुत्ता भी समाधि में कूद जाता. बार-बार बाहर निकालने के बाद भी कुत्ता बाबा के साथ समाधि में कूद जाता. बाबा के प्राण त्यागने के बाद कुत्ते ने भी खाना पीना छोड़ दिया और 72 घंटे के अंदर प्रिय भक्त कुत्ता भी प्राण त्याग दिया. कुत्ते के प्राण त्यागने के बाद लोगों ने उनके समाधि बनाकर बाबा के साथ साथ कुत्ते के समाधि को भी पूजने लगे।
इस संबंध में मंदिर के पुजारी लक्ष्मण सैनी ने बताया कि 100 साल पहले लटूरिया बाबा ने कुत्ता पाला था. वक्त पूरा होने पर लटूरिया बाबा ने प्राण त्याग तो उनके साथ कुत्ता भी कब्र में कूद पड़ा. वहीं 72 घंटे के अंदर कुत्ते ने भी दम तोड़ दिया. गहरी दोस्ती देखकर लोगों ने बाबा के साथ ही कुत्त का भी समाधि बना दिया. इस समाधि स्थल पर नवरात्रि, सावन, होली, दीपावली का मेला लगता है।
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