लखनऊ: ईद-उल-अजहा का त्योहार मुसलमानों के लिए बहुत ही खास माना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबित यह जुल हिज्जा के 10वें दिन बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को बकरा ईद के नाम से भी जाना जाता है. इस साल ईद-उल-अज़हा का त्यौहार 17 जून को मनाया जाएगा. मान्यताओं के मुताबित […]
लखनऊ: ईद-उल-अजहा का त्योहार मुसलमानों के लिए बहुत ही खास माना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबित यह जुल हिज्जा के 10वें दिन बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को बकरा ईद के नाम से भी जाना जाता है. इस साल ईद-उल-अज़हा का त्यौहार 17 जून को मनाया जाएगा. मान्यताओं के मुताबित इस दिन सुबह बकरे की कुर्बानी देने का रिवाज है.
वहीं उत्तर प्रदेश के सीएम योगी जी ने ईद-उल-अजहा के पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने एक बधाई संदेश में कहा है कि ईद-उल-अज़हा का त्यौहार सभी को मिल-जुल कर रहने तथा सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा प्रदान करता है.
आपको बता दें कि बकरा ईद को वैश्विक स्तर पर धूमधाम से मनाया जाता है. इस्लाम में कुर्बानी का बड़ा महत्व बताया गया है. कुरान के मुताबित कहा जाता है कि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेनी चाही. उन्होंने हजरत इब्राहिम को हुक्म दिया कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज को उन्हें कुर्बान कर दें. हजरत इब्राहिम को उनके बेटे हजरत ईस्माइल सबसे ज्यादा प्यारे थे. अल्लाह के हुक्म के बाद ये बात हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत ईस्माइल को बताई.
वहीं 80 साल की उम्र में हजरत इब्राहिम को औलाद नसीब हुई थी और उनके लिए अपने बेटे की कुर्बानी देना काफी मुश्किल काम था, लेकिन हजरत इब्राहिम ने अल्लाह के हुक्म को चुनते हुए बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया और अल्लाह का नाम लेते हुए अपने बेटे के गले पर छुरी चला दी, लेकिन जब उन्होंने अपनी आंख खोली तो देखा कि उनका बेटा बगल में जिंदा खड़ा है और उसकी जगह बकरे जैसी शक्ल का जानवर कटा हुआ है. जिसके बाद अल्लाह की राह में कुर्बानी देने की शुरुआत हुई.
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