Darul Uloom Deoband Fatwa: दारुल उलूम देवबंद का फतवा- दुल्हन को गोद में उठाने से मामा के मन में जाग सकती है काम वासना, खत्म हो प्रथा

Darul Uloom Deoband Fatwa: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद एक बार फिर अपने फतवे को लेकर सुर्खियों में है. दारुल उलूम ने कहा है कि शादी में मामा द्वारा दुल्हन को गोद में उठाकर गाड़ी में बैठाने या फिर डोली में बैठाने की रस्म को खत्म कर देना चाहिए. ऐसा करने से दोनों में से किसी के मन में काम वासना जाग सकती है.

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Darul Uloom Deoband Fatwa: दारुल उलूम देवबंद का फतवा- दुल्हन को गोद में उठाने से मामा के मन में जाग सकती है काम वासना, खत्म हो प्रथा

Aanchal Pandey

  • November 11, 2018 6:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

सहारनपुरः Darul Uloom Deoband Fatwa: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने एक ताजा फतवा जारी किया है. इस बार दारुल उलूम ने फतवे में कहा है कि शादी के समय दुल्हन के मामा द्वारा उसे गोद में उठाकर गाड़ी में बैठाने या फिर डोली में बिठाने की रस्म को खत्म कर देना चाहिए. ऐसा करने से दोनों में से किसी के मन में काम वासना जाग सकती है और दारुल उलूम देवबंद के मुताबिक यह प्रथा पूरी तरह से गैर-इस्लामिक है.

दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी करते हुए आगे कहा कि इस्लामिक प्रथाओं के अनुसार बेहतर होगा कि दुल्हन विदाई के समय डोली में बैठने के लिए खुद चलकर जाए या फिर उसकी मां उसे डोली की ओर लेकर जाए. न्यूज 18 इंडिया की खबर के अनुसार, फतवा में कहा गया है, ‘ किसी महिला और उसके मामा के बीच रिश्ता बेहद पाक होता है. कोई भी शख्स अपनी बालिग भांजी को गोद में नहीं उठा सकता, ये मुस्लिम कानून की निगाहों में तो बिल्कुल माना नहीं जा सकता. ऐसा करने से अगर दोनों में से किसी के भी मन में काम वासना आती है तो इस रिश्ते के तबाह होने का खतरा बना रहता है.’

इसके अलावा दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं को ऐसे जेवरों को भी पहनने से मना किया है जिस पर कोई चित्र बना हो. साथ ही देवबंद से जुड़े मौलवियों ने मुस्लिमों में शादी की तारीख भेजने के लिए ‘लाल खत’ की रस्म को गलत बताया है. उनका मानना है कि यह रस्म गैर-मुस्लिमों से चलन में आई है. यह मुस्लिम समुदाय में जायज नहीं है. ‘लाल खत’ के बदले साधारण पत्र भेजा जाना चाहिए या फिर फोन पर बातचीत के जरिए शादी की तारीख तय की जानी चाहिए. कई मौलवियों ने दारुल उलूम देवबंद के इन फतवों का स्वागत किया है. इससे पहले दारुल उलूम मुस्लिम महिलाओं के गैर-मर्दों द्वारा चूड़ियां पहनने को लेकर भी फतवा जारी कर चुका है.

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https://youtu.be/vd_IBDo-_JM

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