UP Rakesh Tikait लखनऊ, UP Rakesh Tikait भारतीय किसान यूनियन के नेता और किसान आंदोलन का चेहरा रहे राकेश टिकैत एक बार फिर सुर्खियों में हैं. उन्हें एक बार फिर जान से मरने की धमकी मिली है. जिसे लेकर BKU ने टिकैत के लिए Yश्रेणी की सुरक्षा की मांग की है. BKU बिजनौर ने किया […]
लखनऊ, UP Rakesh Tikait भारतीय किसान यूनियन के नेता और किसान आंदोलन का चेहरा रहे राकेश टिकैत एक बार फिर सुर्खियों में हैं. उन्हें एक बार फिर जान से मरने की धमकी मिली है. जिसे लेकर BKU ने टिकैत के लिए Yश्रेणी की सुरक्षा की मांग की है.
कृषि कानून को हटाने की मांग को लेकर एक साल तक चले किसान आंदोलन के अगुआ राकेश टिकैत को एक बार फिर जान से मरने की धमकी मिली है. उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा मामले में तहकीकात जारी है. दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन द्वारा अपने नेता राकेश टिकैत की सुरक्षा को लेकर Y श्रेणी की सुरक्षा की मांग की है. अपने नेता राकेश टिकैत की सुरक्षा को लेकर भारतीय किसान यूनियन बिजनौर ने मामले में ट्वीट किया था. जहां उन्होंने इस बात की शिकायत की थी और राकेश टिकैत के लिए सुरक्षा की मांग की थी. ट्वीट में ज़िक्र किया गया है, ‘राकेश टिकैत को जान से मारने की धमकी मिल चुकी है जिसे लेकर उनकी मांग है कि उनको Y श्रेणी की सुरक्षा दी जाए.’
सम्बन्धित प्रकरण मे थाना सिविल लाइन पर सुसंगत धाराओ में अभियोग पंजीकृत किया गया है, तथ्य के आधार पर विधिक कार्यवाही की जा रही है।
— MUZAFFARNAGAR POLICE (@muzafarnagarpol) March 27, 2022
मामले को लेकर यूपी के मुज़फ्फरनगर थाने में एफआईआर दर्ज़ की गयी है. इस बात की जानकारी खुद पुलिस ने ट्वीट कर दी है. ट्वीट में बताया गया है कि सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज़ कर लिया गया है. पुलिस की ओर से जारी की गयी जानकारी में ये भी बताया गया, मसले को लेकर तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है. मालूम हो कि राकेश टिकैत को पहले भी जान से मारने की धमकी दी जा चुकी है. राकेश टिकैत की सुरक्षा को लेकर पिछले महीने भी एक मुख्य आरक्षी द्वारा मामला दर्ज़ किया गया था.
आपको बता दें कि राकेश टिकैत किसान आंदोलन में 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद देश भर से उन किसानों की आवाज़ बन गए जिन्होंने भारतीय सरकार द्वारा लागू किये गए तीन कृषि बिलों पर ऐतराज़ जताया था. 13 महीने तक चले किसान आंदोलन में वह ज़मीन से किसानों की आवाज़ बने थे. केंद्र सरकार के खिलाफ काफी मुखर नज़र आये. अंत में केंद्र सरकार ने ये तीनों कानून वापस ले लिए.