यूपी: प्रसव पीड़ा में नहीं मिली मदद, दारोगा ने गर्भवती को गोद में उठाकर पहुंचाया अस्पताल

भावना और महेश उत्तर प्रदेश के हाथरस से फरीदाबाद जा रहे थे. ट्रेन में महिला को प्रसव पीड़ा उठी. पति-पत्नी मथुरा रेलवे स्टेशन पर उतरे. वहां दोनों ने लोगों ने मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया. महिला की यह स्थिति देख एक पुलिस अफसर ने उसे गोद में उठाकर अस्पताल पहुंचाया.

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यूपी: प्रसव पीड़ा में नहीं मिली मदद, दारोगा ने गर्भवती को गोद में उठाकर पहुंचाया अस्पताल

Aanchal Pandey

  • September 15, 2018 1:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

आगरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक दारोगा ने मानवता की मिसाल पेश की है. गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) के एक अफसर सोनू कुमार राजोरा ने शुक्रवार को जब एक गर्भवती महिला को भीड़भाड़ वाले मथुरा कैंट स्टेशन पर देखा तो वह तुरंत उनके पास गए और उन्हें गोद में उठाकर पास के अस्पताल पहुंचाया.

उन्होंने महिला के लिए एंबुलेंस बुलाने और स्ट्रेचर खोजने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिली. बाद में भावना नाम की महिला ने मथुरा महिला अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया. डॉक्टरों ने कहा कि नवजात और मां दोनों ही स्वस्थ हैं. गर्भवती महिला को गोद में ले जाते पुलिस अफसर की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

टीओआई के मुताबिक भावना और उनके पति महेश हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में रहते हैं और दोनों ट्रेन से हाथरथ से फरीदाबाद जा रहे थे. लेकिन बीच में ही भावना को प्रसव पीड़ा हुई. महेश ने कहा, “हम शहर से अनजान थे और कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया. इसके बाद राजोरा ने हमारी मदद की. उन्होंने एंबुलेंस बुलाई, लेकिन वह नहीं आई. इसके बाद उन्होंने अॉटोरिक्शा बुलाया और हमारे साथ मथुरा के जिला अस्पताल आए. लेकिन वहां इमरजेंसी वॉर्ड में डॉक्टरों ने मुझसे भावना को महिला वॉर्ड में ले जाने को कहा, जो करीब 100 मीटर दूर था”.

वक्त बर्बाद न करते हुए राजोरा (36) ने महिला को गोद में उठाकर उस जगह तक पहुंचाया, जहां भावना ने बेटे को जन्म दिया. महेश ने कहा, ”बेटे के जन्म की खुशी हम दोनों बयां नहीं कर सकते. यह सिर्फ राजोरा की मदद से संभव हो था. मैं उन्हें शुक्रिया भी नहीं कह पाया, क्योंकि वह भावना को डॉक्टरों के पास सुरक्षित छोड़कर तुरंत चले गए थे.” जब इस बारे में राजोरा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”दूसरे शख्स की मदद करना मेरा फर्ज था. मैंने 102 और 108 पर भी फोन किया, लेकिन कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी. दंपती इस शहर में नया था और वह किसी को नहीं जानते थे.”

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