यूपी के हापुड़ जिले के एक गांव में मंदिर और मस्जिद एक ही नींव पर बनी हैं. इस गांव की ये मंदिर-मस्जिद देशभर में अमन और प्यार का संदेश देती है. जब यहां नमाज का समय होता है तो मंदिर में आरती नहीं होती है और जब मंदिर में आरती का समय होता है तो मस्जिद के लाउड स्पीकरों को बंद कर दिया जाता है.
हापुड़.उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में एक ऐसा गांव बसा है जहां मंदिर और मस्जिद एक नींव पर टिकी हैं. देहरा नाम के इस गांव की ये मंदिर-मस्जिद देशभर के लिए अमन और प्यार का पैगाम हैं. गांव में रहने वाले सभी मजहब के लोग भाईचारे और प्यार के साथ रहकर देश में एकता की मिसाल कायम कर रहे हैं.
नमाज के वक्त मंदिर में आरती नहीं, आरती के समय मस्जिद का लाउड स्पीकर बंद
खास बात है कि जब भी यहां नमाज का वक्त होता है तो मंदिर में आरती नहीं होती. और जब मंदिर में आरती का समय होता है तो मस्जिद के लाउड स्पीकरों को बंद कर दिया जाता है. ऐसे में अगर नमाज और पूजा का वक्त एक हो तो दोनों जगहों पर प्रेम और शांति से प्रार्थना की जाती है.
गांव में 90 प्रतिशत मुस्लिम आबादी फिर भी सब धर्मों में प्यार और सम्मान बराबर
हापुड़ जिले में राजपूतों के साठा-चौरासी नाम से मशहूर क्षेत्र में आने वाले देहरा गांव में करीब 90 प्रतिशत राजपूत मुस्लिम आबादी है लेकिन यहां पर रहने वाले लोग सभी धर्मों को बराबर का सम्मान देते हुए प्यार से रहते हैं.
दिवाली और ईद उल फितर का त्योहार एक साथ मिलकर मनाता है पूरा गांव
दिवाली और ईद जैसे मौके पर पूरा गांव एक साथ खुशियां मनाता है. दिवाली के दिन मस्जिद के इमाम मोहम्मद शौकीन मंदिर के पुजारी श्याम दास को शुभकामनाएं देते हैं तो पुजारी जी ईद के मौके पर मीठी सेवईयों का लुत्फ उठाते हैं.
गांव के बुजुर्ग बोले- कभी नहीं हुआ साम्प्रदायिक झगड़ा, संस्कृति का पूरा सम्मान
गांव के मिरचियान मौहल्ले में स्थित इस मंदिर-मस्जिद के सामने वाले घर के मुखिया मुहम्मद हसन (70) का कहना है कि गांव में कभी भी हिंदू या मुस्लिम भाई के बीच धर्म को लेकर विवाद नहीं हुआ है. गांव के सभी लोग एकदूसरे की संस्कृति का पूरा सम्मान करते हैं.
धर्मों को पीछे छोड़कर यहां लोग बिना स्वार्थ एक दूसरे की इज्जत करते हैं. जहां देश में धार्मिक विवादों की खबर आती हैं वहीं इस गांव की मंदिर-मस्जिद और यहां के स्थानीय लोग पूरे देश में हिंदू-मुस्लिम भाईचारा की एक बड़ी मिसाल कायम करते हैं.