Uttar Pradesh : OBC आरक्षण के लिए योगी सरकार ने किया आयोग का गठन

लखनऊ : इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा ओबीसी आरक्षण पर दिए गए फैसले के बाद योगी सरकार आरक्षण को लेकर काफी सक्रिय हो गई है. अब योगी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग का गठन कर दिया है. सेवानिवृत्त जस्टिस रामवतार सिंह की अध्यक्षता में इस पांच सदस्यीय आयोग का गठन हुआ […]

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Uttar Pradesh : OBC आरक्षण के लिए योगी सरकार ने किया आयोग का गठन

Riya Kumari

  • December 28, 2022 7:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ : इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा ओबीसी आरक्षण पर दिए गए फैसले के बाद योगी सरकार आरक्षण को लेकर काफी सक्रिय हो गई है. अब योगी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग का गठन कर दिया है. सेवानिवृत्त जस्टिस रामवतार सिंह की अध्यक्षता में इस पांच सदस्यीय आयोग का गठन हुआ है. दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और दो सेवानिवृत्त विधि अधिकारी भी इस आयोग में शामिल किए गए हैं.

कल आया था फैसला

बता दें, कल यानी 27 दिसंबर को इलाहबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की सभी दलीलों को ख़ारिज करते हुए कहा था कि राज्य में ओबीसी आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट्स विधि के अनुसार नहीं करवाए गए हैं. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य में बिना ओबीसी आरक्षण के ही निकाय चुनाव जल्द से जल्द करवाए जाए और ओबीसी आरक्षण के लिए नए सिरे से ट्रिपल टेस्ट करवाया जाए.

जानिए पूरा मामला

दरअसल उत्तर प्रदेश में नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर 2022 से 19 जनवरी 2023 के बीच ख़त्म होने जा रहा है. इस बीच सूबे में 760 नगरीय निकायों का चुनाव होने वाला है. राज्य सरकार ने इसके लिए सीटों का आरक्षण जारी कर दिया था. राज्य की नगर निगमों के मेयर, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष और पार्षदों के आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट में के याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में सरकार ने निकाय आरक्षण में पिछड़ों के आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट का फॉर्म्यूला लागू नहीं करने की बात कही गई थी.

यूपी में फंसा पेंच

इसके बाद 27 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने को रोक दिया. कोर्ट का कहना है कि प्रथम दृष्टया से लगता है कि राज्य सरकार ने OBC कोटे का आरक्षण तय करने में ट्रिपल टेस्ट फॉर्म्यूला का अनुपालन नहीं किया. सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार मानने की बात कही थी. सरकार का कहना था कि इसी सर्वे को ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट माना जाए. योगी सरकार के तर्कों को कोर्ट ने नकार दिया और बिना किसी ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवाने का निर्देश दिया है.

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