UP Bulandshahr Ijtema: 1,2 और 3 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में दुनिया भर से पहुंच रहे लाखों की तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा होंगे. लेकिन ये सभी लोग किसी राजनीतिक जमावड़े के लिए नहीं बल्कि वहां हो रहे एतिहासिक तीन दिवसीय तबलीगी इज्तिमा( धार्मिक आयोजन) में शामिल होंगे.
बुलंदशहर. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 1, 2 और 3 दिसंबर को दुनियाभर से लाखों मुसलमान एतिहासिक तीन दिवसीय तबलीगी आलमी इज्तिमा में पहुंचेंगे. वहां जाने वाले लोगों को कुछ परेशानी ना हो, इस वजह से हजारों नौजवान पिछले 2 महीनों से रात-दिन इज्तिमा की तैयारियों में लगे हुए हैं. अपने मुल्क और दूसरे मुल्क से आए लोगों के इस्तकबाल में बुलंदशहर और आसपास के जिलों का मुस्लिम समाज कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है. इज्तिमा का आयोजन एनएच 91 पर बुलंदशहर के अकबरपुर और दरियापुर समेत कई गांवों की जमीन पर किया जा रहा है. किसी को परेशानी ना हो इस वजह से जिले के पुलिस- प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं.
गौरतलब है कि इज्तिमा की खास तैयारियों को लेकर करीब डेढ़ से 2 हजार युवा प्रतिदिन काम में लगे हुए हैं. खास बात है कि इनमें कोई भी ऐसा नहीं है जिसे मजदूरी पर काम करने के लिए बुलाया गया हो. सभी लोग इस्लाम धर्म के इतने बड़े आयोजन के लिए काम करने के मौके को अपनी खुशनसीबी मान रहे हैं. यही नहीं इज्तिमा की जमीन पर आने वाले लोगों के लिए वजू और पीने के लिए साफ पानी, बैठने के लिए बेहतरीन इंतजाम और इस्तेमाल के लिए साफ सुथरे टॉयलेट बनवाए गए हैं. वहीं सर्दी बारिश से बचने के लिए तम्बू टेंट का बहतरीन इंतजाम किया गया है. सुरक्षा को देखते हुए एक अल्पकालीन पुलिस थाना बनाया गया है.
इज्तिमा का अर्थ होता है धार्मिक जमवाड़ा, जहां भारी तादाद में जमा हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने इस्लाम धर्म के बारे में अच्छी तरह जानने का मौका मिलता है. साथ ही दीन की राह का रास्ता दिखाया जाता है. बता दें कि साल 1926 में मौलाना इलियास रहमतुल्लाहिअलैह ने तबलीगी जमात का काम शुरू किया था. साल 1995 से इस काम की जिम्मेदारी मुस्लिम समुदाय के मशहूर मौलाना साद साहब संभाल रहे हैं. कहा जा रहा है कि बुलंदशहर में होने जा रहे इस इज्तिमा में कई बड़े मुस्लिम धर्म गुरु के साथ मौलाना साद भी पहुंच सकते हैं.
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