Uddhav Thackeray Shiv Sena Quits Narendra Modi NDA: महाराष्ट्र में सत्ता युद्ध- अमित शाह की बीजेपी को लगा ये तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना है, हमेशा की तरह मान जाएगी

Uddhav Thackeray Shiv Sena Quits Narendra Modi NDA: महाराष्ट्र की राजनीति ने केंद्र तक असर डाला है. बीजेपी से 30 साल पुराना नाता तोड़कर उद्धव ठाकरे की शिवसेना अब भी राज्य में सीएम पद चाहती है और उसका सपना पूरा कराने में शरद पवार की एनसीपी और सोनिया गांधी की कांग्रेस पूरी मदद भी कर रही है.

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Uddhav Thackeray Shiv Sena Quits Narendra Modi NDA: महाराष्ट्र में सत्ता युद्ध- अमित शाह की बीजेपी को लगा ये तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना है, हमेशा की तरह मान जाएगी

Aanchal Pandey

  • November 11, 2019 2:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

मुंबई. झटका उसे कहते हैं जो महाराष्ट्र में भाजपा को लगा है. उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से फोन पर बात की है. सूत्रों की बात रखें तो तय है तीनों मिलकर सरकार बना लेंगे. खास बात है कि जिस शिवसेना के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव जीता, सरकार बनाने के सपने देखे वो सिर्फ इसलिए बिफर गई क्योंकि मुख्यमंत्री पद चाहती थी. बात तो इतनी नहीं बढ़ती अगर देवेंद्र फड़णवीस की बीजेपी सीएम पद देने को राजी हो जाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

शिवसेना का कहना है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर 50-50 पार्टनरशिप की बात कही थी. उस दौरान तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे.

हालांकि बीजेपी के देवेंद्र फड़णवीस ने शिवसेना की इस बात को नकार दिया और किसी भी तरह के वादे को खारिज कर दिया. उद्धव ठाकरे को भाजपा की बात पसंद नहीं आई और उन्होंने कहा कि बीजेपी उन्हें झूठा बना रही है. उसी समय उद्धव ने एनडीए छोड़ने के संकेत दे दिए थे.

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भाजपा को लगा शिवसेना को आसानी से मना लेंगे

लोकसभा में बीजेपी-शिवसेना के बीच सीट बंटवारे पर खूब हो हल्ला हुआ लेकिन आखिरकार शिवसेना ने राज्य में खुद को छोटा भाई मान लिया और कम सीट पर राजी हो गई. उस दौरान संजय राउत ने बीजेपी पर खूब तंज भी कसे, एक बार तो लगा कि अब दोनों पार्टियां साथ छोड़ देंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चुनाव में साथ होने का दोनों को फायदा भी मिला और दोनों ने मिलकर एनसीपी-कांग्रेस की धज्जियां उड़ा दी.

महाराष्ट्र चुनाव में भी बीजेपी कुछ ऐसा ही सोचकर चल रही थी लेकिन थोड़े नतीजे उलट आ गए. बहुमत तो दोनों पार्टियों के गठबंधन को मिल गई लेकिन पिछले चुनाव से सीट कम हो गईं. ऐसे में शिवसेना को अपनी मांग रखने का पूरा मौका मिल गया क्योंकि इस बार ठाकरे परिवार का चिराग यानी आदित्य ठाकरे भी वर्ली सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. और आदित्य के चुनाव जीतने से पहले ही उन्हें सीएम बनाने की मांग ने रफ्तार पकड़ ली.

इस बार तो शिवसेना ने सीएम पद ठान लिया था

हालांकि, चौंकाने वाली बात रही कि शिवसेना ने सदन में एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना. उस दौरान भी कुछ बीजेपी नेताओं और समर्थकों को लगा कि अब भी शिवसेना ने सीएम के लिए जगह छोड़ दी है लेकिन ऐसा जब भी नहीं हुआ. चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना लगातार सीएम पर की जिद पर अड़ी रही और धमकी देती रही कि ऐसा नहीं हुआ तो एनडीए और बीजेपी से दूरी बना लेगी.

लगता है भाजपा ने मामले को इतने गंभीरता से नहीं लिया जितना शिवसेना हो चुकी थी. देवेंद्र फड़णवीस कई जगह कहते नजर आए कि बीजेपी ही सरकार बनाएगी और मैं ही 5 साल सीएम बनूंगा. इस बात से शिवसेना और ज्यादा बिफर गई. दोनों के बीच जुबानी हमले शुरू हो गए और आखिरकार बालासाहब ठाकरे की शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया. केंद्रीय मंत्रीमंडल से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने अपना इस्तीफा सौंप कर औपचारिकता भी पूरी की. अब सरकार जो भी बनाए जनता की डिमांड तो यही रहेगी मजबूत बनाए.

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