मुंबई: महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीति अपने चरम पर है. जहां उद्धव गुट की महिला कार्यकर्ता पर हमला करने के बाद ठाकरे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच जुबानी जंग देखी जा सकती है. इसी कड़ी में उद्धव ठाकरे ने फडणवीस को बिना काम का गृहमंत्री बताया है और उनके इस्तीफे की मांग […]
मुंबई: महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीति अपने चरम पर है. जहां उद्धव गुट की महिला कार्यकर्ता पर हमला करने के बाद ठाकरे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच जुबानी जंग देखी जा सकती है. इसी कड़ी में उद्धव ठाकरे ने फडणवीस को बिना काम का गृहमंत्री बताया है और उनके इस्तीफे की मांग की है. दूसरी ओर फडणवीस ने भी ठाकरे को कमज़ोर मुख्यमंत्री बताया है. उनका आरोप है कि ठाकरे सत्ता के लिए आदर्शों से समझौता करते हैं इसलिए उन्हें ज़्यादा तवज्जो नहीं मिलनी चाहिए.
दरअसल शिवसेना गुट के कार्यकर्ताओं पर विरोधी शिवसेना उद्धव गुट की एक महिला कार्यकर्ता के साथ बद्सलूकी और हमला करने का आरोप है. फिलहाल ठाकरे गुट की महिला कार्यकर्ता अस्पताल में भर्ती है जिसका इलाज किया जा रहा है. ठाकरे अपनी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य ठाकरे के साथ घायल महिला से मुलाकात करने अस्पताल भी पहुंचे थे जहां महिला ने पर हमला करने वालों पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी. दरअसल आरोप है कि महाराष्ट्र विपक्ष गुट की महिला के पेट पर लात मारी गई है. इस दौरान पूर्व सीएम ने महाराष्ट्र का गृह मंत्री किसी काम का नहीं है कहते हुए फडणवीस को असहाय बता डाला.
ठाकरे यहीं नहीं रुके उन्होंने सीएम शिंदे को लेकर कहा कि वह मुख्यमंत्री नहीं गुंडा मंत्री हैं. उन्होंने ये भी कहा कि मैं नहीं कह रहा हूं लेकिन लोगों को अब खुद ही तय करना होगा कि जब शिंदे सरकार अपना कैबिनेट विस्तार करे तो उसे ऐसा एक मंत्री बनाना चाहिए जिसके पास गुंडा विभाग का प्रभार हो. इस दौरान ठाकरे ने ठाणे पुलिस कमिश्नर पर भी निशाना साधा और महिला कार्यकर्ता के हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आरोप लगाया.
ठाकरे के इस बयान पर देवेंद्र फडणवीस ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं भी ठाकरे को उन्हीं की भाषा में जवाब दे सकता हूं लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा क्योंकि ठाकरे फ्रस्टेटेड हैं. वह ढाई साल से सीएम थे लेकिन कभी भी वह अपने घर से बाहर नहीं निकले. उन्होंने घर से ही अपना पूरा काम किया था. ठाकरे इतने कमज़ोर थे कि भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने के बाद भी वह अपने दो मंत्रियों से इस्तीफे की मांग तक नहीं कर पाए. असल में उन्हें अपनी सीएम की कुर्सी जाने का डर था.
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