देहरादून: उत्तराखंड के उत्तराकशी टलन हादसे में 8वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. दीपावली की सुबह से चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में फंसे बेटे की आवाज सुनकर खुशी के मारे पिता के आंखों से आंसू छलक उठे। बेटे के टनल में फंसने होने की खबर सुनकर पिता लखीमखीरी से चल कर किसी […]
देहरादून: उत्तराखंड के उत्तराकशी टलन हादसे में 8वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. दीपावली की सुबह से चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में फंसे बेटे की आवाज सुनकर खुशी के मारे पिता के आंखों से आंसू छलक उठे। बेटे के टनल में फंसने होने की खबर सुनकर पिता लखीमखीरी से चल कर किसी तरह उत्तरकाशी में सिल्क्यारा तक पहुंचे। सिल्क्यारा पहुंचने के बाद वहां का नजारा देखकर उनकी हिम्मत हार गई, लेकिन कर्मियों ने अंदर फंसे उनके बेटे मंजीत कुमार से वॉकीटॉकी के माध्यान से बात कराई तो उनकी जान में जान आ गई।
यूपी के भेरमपुर मंघा लखीमखीरी के रहने वाले चौधरी 17 नवंबर को अपने दो चचेरे भाईयों सीताराम और शत्रुघ्न के साथ उत्तरकाशी के सिल्क्यारा पहुंचे. चौधरी अपने परिवार की गुजर-बसर करने के लिए भेरमपुर में मजदूरी का काम करते हैं. एक साल पहले मुंबई में हुए एक हादसे में चौधरी अपने बेटे को खो चुके हैं और इसी वजह से टनल हादसे ने उनको बेहद डरा दिया। अपने बेटे की खबर सुनते ही किसी तरह वह उत्तरकाशी पहुंचे।
दरअसल चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग की मंजर देख कर अपने बेटे के लिए उनके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था, लेकिन जब बेटे से बात हुई तो उन्होंने चैन की सांस ली. चौधरी का कहना है कि वह अपने बेटे मंजीत कुमार को लेकर बेहद चिंतित है।
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