त्रिपुरा में मनाई जाने वाली होली ने पहले ही सियासी रंग ले लिया है. दरअसल, होली से ठीक पहले वहां के बाजारों में भगवे रंग को खासा पसंद किया जा रहा है. भगवा रंग यानि जो बीजेपी पार्टी से जुड़ा है. दरअसल इस बार होली के लिए सजे बाजारों में लाल रंग जो वहां की सत्ताधारी पार्टी सीपीआई (एम) से जोड़ा जाता है उसकी मांग के सामने केसरिया रंग की डिंमाड ज्यादा बताई जा रही है. अब यह भाजपा के लिए अच्छा संकेत है या नहीं, यह बात तो परिणामों के बाद ही साफ हो पाएगी.
अगरतला: होली खुशियों और रंगों का त्यौहार है. पूरे देशभर में इसे बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है. बाजारों तमाम तरह के रंगों से घिरे हुए हैं. लेकिन त्रिपुरा राज्य का इस बार होली का मसला कुछ और ही नजर आ रहा है. बीते 18 फरवरी को त्रिपुरा में 59 सीटों विधानसभा चुनाव आयोजित किया गया जिसका परिणाम होली के अगली दिन यानि 3 मार्च को आने वाला है. लेकिन इस बार त्रिपुरा में मनाई जाने वाली होली ने पहले ही सियासी रंग ले लिया है. दरअसल, होली से ठीक पहले वहां के बाजारों में भगवे रंग को खासा पसंद किया जा रहा है. भगवा रंग यानि जो बीजेपी पार्टी से जुड़ा है. दरअसल इस बार होली के लिए सजे बाजारों में लाल रंग जो वहां की सत्ताधारी पार्टी सीपीआई (एम) से जोड़ा जाता है उसकी मांग के सामने केसरिया रंग की डिंमाड ज्यादा बताई जा रही है. अब यह भाजपा के लिए अच्छा संकेत है या नहीं, यह बात तो परिणामों के बाद ही साफ हो पाएगी.
गौरतलब है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई (एम)) की अगुवाई वाली वाम मोर्चा सरकार पिछले 25 सालों से राज्य में सत्ता में है. लेकिन चुनाव पंडितों की माने तो इस विधानसभा चुनावों के बाद लाल से भगवा रंग की वरीयता में अचानक बदलाव कुछ “राजनीतिक” संदेश भेज रहा है. इस मामले में एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए वहां के थोक विक्रेता ने बताया कि इस बार होली पर रंगों की एक विशाल मांग है, खासकर केसरिया रंग लोगों को काफी भा रहा है. लोग थोक में भगवा रंग खरीद रहे हैं. ऐसे में सियासी रंग ले चुकी इस बार की होली भाजपा को फायदा भी पहुंचा सकती है. वहीं बीते मंगलवार को हुए दो एक्जिट पोल के नतीजों ने भी त्रिपुरा में भाजपा-आबादी पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफटी) गठबंधन सत्ता में आने की बात कही है. अब लाल रंग से भगवा रंग पसंद कर रहे लोगों ने किसे समर्थन दिया है यह बात को नतीजों के बाद ही साफ हो पाएगी.
आपको बता दें कि बीती 18 फरवरी को त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हुआ. जहां शाम चार बजे तक हुई वोटिंग में 59 सीटों के 3214 मतदान केंद्रों पर 74 फीसदी मतदान हुआ. वहीं कुछ मतदान केंद्रों पर रात 9 बजे तक मतदान चला. देर रात तक 78.56 % मतदान हुआ. मतदान करने के लिए सुबह से ही लोगों की लंबी कतारें पोलिंग बूथ पर लग गई थी जो दोपहर के बाद और बढ़ गई थीं. दोपहर तक भीड़ को देखकर लग रहा था कि चुनाव प्रतिशत पिछले आंकड़े को छू सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चरीलम विधानसभा सीट से माकपा के उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देब बर्मा का पांच दिन पहले निधन हो जाने के कारण सिर्फ एक सीट पर मतदान 12 मार्च को हो सकता है.
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