पटना। बिहार की औद्यौगिक राजधानी भागलपुर का काली पूजा मशहूर है। 31 अक्टूबर को रात 11 बजे काली माता की प्रतिमा स्थापित की जाएंगी और फिर 2 नवंबर को विसर्जन होगा।भागलपुर में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां के देख-रेख की जिम्मेदारी मुस्लिम परिवार को सौंपी गई है। मुस्लिम परिवार दशकों से इसकी देख रेख […]
पटना। बिहार की औद्यौगिक राजधानी भागलपुर का काली पूजा मशहूर है। 31 अक्टूबर को रात 11 बजे काली माता की प्रतिमा स्थापित की जाएंगी और फिर 2 नवंबर को विसर्जन होगा।भागलपुर में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां के देख-रेख की जिम्मेदारी मुस्लिम परिवार को सौंपी गई है। मुस्लिम परिवार दशकों से इसकी देख रेख करता है।
कहा जाता है कि जब भागलपुर में दंगा हुआ था तो मुस्लिम परिवार मंदिर को बचाने के लिए ढाल बनकर खड़ा हो गया था। साल 1989 के अक्टूबर महीने में काली पूजा से कुछ दिन पहले ही भागलपुर में भीषण दंगा भड़क गया। शहर में चारों तरफ आगजनी और मारकाट मची हुई थी। इसमें हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। दंगे के दौरान धार्मिक उन्माद से पीड़ित दंगाई धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे थे। इसी दौरान मुस्लिम समाज के कुछ लोग आगे आए और दंगाइओं के सामने चट्टान बनकर खड़े हो गए।
मोमिन टोला स्थित मां काली मंदिर को मुस्लिमों ने बचाया था। कहा जाता है कि तबसे लेकर आजतक मुस्लिम समाज के लोग हिन्दुओं के साथ मिलकर काली माता की पूजा करते हैं। हाजी मोहम्मद इलियास 1965 से काली मंदिर की सुरक्षा करते आ रहे हैं। इस साल वो बीमार हैं तो उनकी जगह पर उनके बेटे को पूजा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हाजी इलियास के बेटे इश्तियाक का कहना है कि मंदिर के आसपास हिन्दू आबादी कम है तो फिर मुस्लिम युवाओं की एक कमेटी मंदिर की पूजा में सहयोग करती है।
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