रणथम्भौर : उम्र के आखिरी पड़ाव पर माँ बनने वाली इस बाघिन का नाम नूर है. इस बाघिन की उम्र 15 साल की है. बाघिन टी-39 ने इसी साल मार्च महीने में दो शावकों को जन्म दिया था. रणथम्भौर से ये मामला सामने आया है. बता दें, इस तरह के मामले इक्का-दुक्का ही आते हैं जिसे एक्सपर्ट्स ने भी रेयर बताया है. इससे पहले 13 वर्षीय बाघिन ने भी तीन शावकों को जन्म दिया था लेकिन इस बार बाघिन और भी अधिक उम्रदराज़ है.
बाघिन नूर आठ माह पहले माँ बनी थी. जिसके बाद एक टूरिस्ट गाइड ने नूर को उसके शावकों के साथ देखा था. लेकिन बाघिन अपने शावकों को दूध नही पीला रही थी.
जिसके बाद उसे अकेला देखा गया तभी से बाघिन को अकेला देखा गया है और उसके शावकों को अभ्यारण्य में नहीं देखा गया है. उनकी मौत हो गई है या वो गायब हो गए हैं इस बात की पुष्टि नहीं हुई है. ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक इन शावकों के शव नहीं मिले हैं लेकिन वन विभाग की मानें तो संभव है कि दोनों शावकों की मौत ना हुई हो.
रणथम्भौर के तत्कालीन डीएफओ महेन्द्र शर्मा द्वारा जानकारी मिली है कि नूर बाघिन अपने शावकों को दूध नहीं पिला पा रही थी. प्रत्यक्षदर्शी गाइड रफीक मोहम्मद के अनुसार उन्होंने बाघिन के दोनों शावकों को करीब 20 मिनट दूध पीते देखा था। अमूमन किसी बाघिन के शावकों का पेट पांच से सात मिनट में पूरा भर जाता है जिसके बाद वह माँ को छोड़कर खेलने लगते हैं.
बाघिन टी-39 को रणथम्भौर में नूर कहा जाता है. ये बाघिन कुल चार बार माँ बन चुकी है. करीब 15 साल की उम्र के हिसाब से ये यहां की सबसे खूबसूरत बाघिनों में से एक है. इसकी खूबसूरती के चलते ही इसे नूर नाम दिया गया था.फिलहाल बाघिन की टेरिटरी रणथम्भौर के जोन नम्बर एक में है. मालूम हो कि एक बाघिन अपने जीवन में केवल 10 से 12 साल तक की उम्र तक शावकों को जन्म देती है. बढ़ती उम्र के साथ ही उसके हार्मोन्स में बदलाव होते हैं और वह अमूमन 12 साल की उम्र के बाद माँ नहीं बन सकती.
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