गांधीनगर: गुजरात विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू हो गया है। इसमें कई नए विधेयक पेश किए जाएंगे, इनमें से एक खास विधेयक काला जादू खत्म करने का विधेयक है। गुजरात सरकार मानव बलि और अन्य अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाने के लिए विधानसभा में यह विधेयक पेश करेगी। आइए जानने की कोशिश करते हैं […]
गांधीनगर: गुजरात विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू हो गया है। इसमें कई नए विधेयक पेश किए जाएंगे, इनमें से एक खास विधेयक काला जादू खत्म करने का विधेयक है। गुजरात सरकार मानव बलि और अन्य अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाने के लिए विधानसभा में यह विधेयक पेश करेगी। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि गुजरात में काला जादू के खिलाफ विधेयक क्यों लाया जा रहा है?
गुजरात की एक संस्था अखिल भारतीय अंधश्रध्दा निर्मूल समिति ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें मांग की थी कि हाईकोर्ट सरकार को आदेश दे की राज्य में गैरकानूनी तंत्रिका गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष कानून बनाया जाए। याचिका में कहा गया था कि कुछ धोकेबाज बाबा, अघोरी और ओझा के रूप में काम कर रहे हैं। ये लोग अपने पूजा-अनुष्ठान के नाम पर लोगों को धोखा देते हैं यहां तक कि बच्चों और महिलाओं की बलि चढ़ा देते हैं।
संस्था ने यह भी उदाहरण दिया कि एक व्यक्ति ने काले जादू के नाम पर दो महीने के बच्चे को अपंग बनाकर मार डाला। इसलिए सरकार को ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
हाईकोर्ट में दायर इस याचिका के जवाब में गुजरात सरकार ने कहा था कि वह जल्द ही विधानसभा में काले जादू के खिलाफ कानून लाएगी। अब विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र के दौरान गुजरात मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट और अघोरी प्रथाएं और काला जादू रोकथाम और उन्मूलन विधेयक-2024 पेश होने जा रहा है।
अगर यह विधेयक पारित होने के बाद कानून का रूप ले लेता है तो गुजरात में काले जादू के नाम पर महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अत्याचारों पर अंकुश लगेगा। इस कानून में मानव बलि आदि के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान किया जाएगा।
गुजरात ही नहीं, बल्कि पूरे देश में तांत्रिक काले जादू और जादू-टोने के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में देशभर में काले जादू के कारण 68 लोगों की जान चली गई। इसके बावजूद देश में इसके खिलाफ कोई केंद्रीय कानून नहीं है। हालांकि, राज्यों ने इससे निपटने के लिए अलग-अलग कानून बनाए हैं। इसी सिलसिले में अब गुजरात में भी कानून बनने जा रहा है।