मनमानी से घर बनाने वाले सावधान! सरकार का ये नियम नहीं माना तो टूटेगा आपका मकान

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 50 हजार से एक लाख की आबादी वाले 63 शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने का फैसला लिया है। इस मास्टर प्लान के लागू होने से भवन निर्माण में मनमानी रुकेगी और ये शहर भी महानगरों की तरह सुनियोजित तरीके से विकसित होंगे।

मास्टर प्लान का उद्देश्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छोटे शहरों का व्यवस्थित विकास सुनिश्चित करने के लिए मास्टर प्लान बनाने का निर्देश दिया है। यह प्लान भू-उपयोग के आधार पर नक्शा पास करने की प्रक्रिया को मानकीकृत करेगा, जिससे अवैध निर्माण को रोकने में मदद मिलेगी।

नए नियमों की जरूरत

अधिकांश छोटे शहरों में भवन निर्माण के लिए कोई मानक नहीं हैं, जिससे अवैध निर्माण और अनियोजित विकास की समस्या बढ़ गई है। इसके लिए आवास विभाग नए भवन निर्माण एवं विकास नियम तैयार करने जा रहा है, जिसे नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत वाले शहरों में लागू किया जाएगा।

पहले चरण का कार्य

आवास विभाग पहले चरण में अमृत योजना से जुड़े 59 शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार कर रहा है। यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। इसके बाद दूसरे चरण में 63 नए शहरों के लिए भी मास्टर प्लान बनाने की तैयारी है। मास्टर प्लान तैयार होने के बाद, भवन निर्माण की अनुमति और नक्शा पास करने की प्रक्रिया भी इसके अनुसार होगी।

अवैध निर्माण पर नियंत्रण

छोटे शहरों में मानकों की कमी के कारण अवैध निर्माण एक बड़ी समस्या बन गई है। इससे शहरों का अनियोजित विकास हो रहा है, जिससे सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा बढ़ गया है। नए नियमों के तहत, सड़कों के किनारे मानकों के विपरीत बने आवासीय और व्यावसायिक भवनों की संख्या में कमी आएगी।

मौजूदा स्थिति

वर्तमान में, जिन शहरों में विकास प्राधिकरण नहीं हैं, वहां नगर निकायों के बोर्ड के नियमानुसार नक्शा पास होता है। इसमें भू-उपयोग और तल पट क्षेत्र अनुपात का ध्यान नहीं रखा जाता, जिससे मनमानी होती है। नए मास्टर प्लान के तहत इन प्रक्रियाओं को व्यवस्थित किया जाएगा, जिससे शहरों का विकास सुनियोजित तरीके से हो सकेगा।

योगी सरकार का यह कदम छोटे शहरों के विकास को सुनियोजित और सुरक्षित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। मास्टर प्लान के लागू होने से न केवल अवैध निर्माण पर रोक लगेगी, बल्कि शहरों का विकास भी एक बेहतर दिशा में होगा। यह योजना उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों के लिए एक नई शुरुआत साबित होगी।

 

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