शिमला: भारत में प्रेम और विवाह को लेकर भले ही समय के साथ कई बदलाव आए हों, लेकिन आज भी प्रेम विवाह को समाज में पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। खासकर इंटरकास्ट मैरेज को लेकर कई बार कड़ा विरोध किया जाता है। ऐसे में कई प्रेमी जोड़े परिवार की मर्जी के खिलाफ […]
शिमला: भारत में प्रेम और विवाह को लेकर भले ही समय के साथ कई बदलाव आए हों, लेकिन आज भी प्रेम विवाह को समाज में पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। खासकर इंटरकास्ट मैरेज को लेकर कई बार कड़ा विरोध किया जाता है। ऐसे में कई प्रेमी जोड़े परिवार की मर्जी के खिलाफ भागकर शादी करने का फैसला लेते हैं और उन्हें एक सुरक्षित जगह की तलाश होती है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले का एक गांव, इन प्रेमी जोड़ों के लिए आश्रयस्थल के रूप में जाना जाता है। यहां स्थित शंगचुल महादेव मंदिर में देशभर से भागे हुए प्रेमी जोड़ों को पनाह देता है। इस गांव में आने वाले प्रेमी जोड़ों को न सिर्फ सुरक्षा दी जाती है, बल्कि उनके रहने और खाने की भी व्यवस्था की जाती है। यहां आने वाले प्रेमी जोड़ों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाता, इसलिए यह स्थान उनके लिए सुरक्षित माना जाता है।
गांव के लोगों का मानना है कि यदि उन्होंने प्रेमी जोड़ों को आश्रय नहीं दिया तो शंगचुल महादेव नाराज हो जाएंगे। मान्यता के अनुसार, महाभारत के समय पांडवों ने इस गांव में शरण ली थी. इस कारण इस गांव में शरण मांगने वालों की रक्षा की जाती है। कहा जाता है कि उस समय कौरवों को गांव में प्रवेश से रोकने के लिए स्वयं शंगचुल महादेव ने हस्तक्षेप किया था और तब से यह परंपरा चली आ रही है. इतना ही नहीं यहां आने वाले किसी भी शरणार्थियों को भी सुरक्षा प्रदान की जाती हैं.
एक खास बात यह है कि इस गांव में पुलिस या हथियार लेकर प्रवेश करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा के चलते यह गांव प्रेमी जोड़ों के लिए एक सुरक्षित स्थान बना हुआ है, जहां वे निडर होकर शरण ले सकते हैं। इस जगह को न केवल स्थानीय लोग, बल्कि देशभर से आने वाले लोग भी बेहद सम्मान और आस्था से देखते हैं।
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