दिसपुर: इस वक़्त असम राज्य सुर्खियों में बना हुआ है। इसकी वजह बाल विवाह के खिलाफ सरकार की मुहिम है। आपको बता दें, बाल विवाह के खिलाफ सरकार की यही मुहिम अब लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई है। पुलिस सालों पहले हुई शादियों के रिकॉर्ड खंगाल रही है और इस कानून के […]
दिसपुर: इस वक़्त असम राज्य सुर्खियों में बना हुआ है। इसकी वजह बाल विवाह के खिलाफ सरकार की मुहिम है। आपको बता दें, बाल विवाह के खिलाफ सरकार की यही मुहिम अब लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई है। पुलिस सालों पहले हुई शादियों के रिकॉर्ड खंगाल रही है और इस कानून के तहत दो, तीन और पाँच बच्चों के पिता को भी गिरफ्तार कर रही है। जहाँ पुलिस अब तक हजारों लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल चुकी है, वहीं हजारों युवक गिरफ्तारी के डर से घर छोड़कर भाग रहे हैं और उनकी बीवियाँ और बच्चे घर पर उनका इंतजार कर रहे हैं।
आपको बता दें, पुलिस कार्रवाई के डर से लोग आत्महत्या करने को मजबूर हैं। धुबरी जिले में मंगलवार को पुलिस के डर से एक व्यक्ति ने अपना ही गला काट लिया और आत्महत्या कर ली। इससे पहले भी दो महिलाओं ने पुलिस कार्रवाई के डर से ख़ुदकुशी कर ली थी। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक,असम के धुबरी जिले के गौरीपुर इलाके के बरैबाड़ी गाँव से भी ऐसी घटना सामने आई है। जहाँ पर बडू प्रमाणिक के बेटे कासिम अली प्रमाणिक की जल्द शादी हुई थी। इसी डर से उसने धारदार हथियार से अपना गला रेत कर अपनी जान दे दी।
कासिम अली के दो छोटे बच्चे भी हैं। घर के लोगों ने बताया कि हाल के दिनों में कासिम अली बाल-विवाह और उसकी गिरफ्तारी को लेकर परेशान था और परेशानियों के चलते आखिरकार उसने ख़ुदकुशी कर ली। जानकारी के लिए बता देंम बाल विवाह और पुलिस की गिरफ्तारी के डर से असम में ख़ुदकुशी की यह तीसरी घटना है। पिछले दो मामलों में आत्महत्या करने वाली औरतें थीं। बहरहाल ऐसे मामले बढ़ भी सकते हैं।
आपको बता दें, कि असम में शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए CM हिमंत बिस्वा ने बाल विवाह के खिलाफ एक्शन तेज़ किया है। 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर POCSO एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जाता है, जबकि 14 से 18 साल के बीच की लड़कियों से शादी करने वालों पर विवाह निषेध अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाता है। आपको बता दें कि CM हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि यह 2026 के विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। हालाँकि, सरकार के इस फैसले की विपक्षी दाल ने खूब आलोचना की है और राज्य भर में सरकारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया है।
उधर, महिलाएँ भी अपने पति की गिरफ्तारी के विरोध में उतर आईं। वह कोर्ट और थानों में धरना दे रही हैं। महिलाएँ अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले इंसान की गिरफ्तारी का विरोध कर रही हैं। गौरतलब है कि बाल विवाह में शामिल होने के आरोप में असम में 3,000 से ज़्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस गिरफ्तारी ने समाज को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। लोगों का कहना है कि इस प्रथा को रोकने का यह तरीका सरासर गलत है।
आपको बता दें, समाज में रोष के साथ-साथ लोग कह रहे हैं कि सरकार को आपके व्यक्तिगत जीवन में दखल करने का अधिकार नहीं है। साथ ही बलपूर्वक तरीके से समाज की बुराई नहीं रोकी जाती। जाहिर तौर पर कम उम्र में विवाह बंद होना चाहिए, लेकिन यह एक सामाजिक बुराई है, इसमें कोई सार्वजनिक व्यवस्था की समस्या नहीं है।
महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और आजीविका पर ध्यान देकर इसे समाप्त किया जा सकता है, न कि अतीत में हुई किसी घटना पर जबरन कानून लागू करके। आपको बता दें, सरकार राज्य सरकार निश्चित रूप से एक मजबूत संदेश देना चाहती है कि समाज में बाल विवाह बंद होना चाहिए, लेकिन इस तरह की कार्रवाई से हो रहे नुकसान पर भी ध्यान देना चाहिए।”