नई दिल्ली : ‘हर कोई अपने घर और आंगन का सपना देखता है। हर इंसान के दिल की यही ख्वाहिश होती है कि घर का सपना कभी न टूटे’। ये हम नहीं कह रहे है, ये सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है। कोर्ट ने कहा कि ‘महिलाओं और बच्चों को बेघर होते देखना सुखद दृश्य नहीं है।’ सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा घरों/दुकानों और अन्य निजी संपत्तियों को ध्वस्त करने के नियम निर्धारित किए हैं।
सभी निर्देशों का पालन जरूर किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपने खर्च पर बनवा के देना होगा इसके लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।
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