नई दिल्ली:जम्मू-कश्मीर में पहले विधानसभा सत्र के पहले दिन अनुच्छेद 370 पर जोरदार हंगामा हुआ. बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पांच साल पहले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था. जिसके बाद जमकर विरोध प्रदर्शन हुए और विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया गया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया. सोमवार को विधानसभा सत्र शुरू होते ही नवनिर्वाचित जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ.
छह साल बाद आयोजित पहले विधानसभा सत्र में, महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक वाहिद पारा ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया है. भाजपा विधायकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है. वहीं सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष रहीम राथर ने कहा कि उन्होंने अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है. इसके बाद सदन के बाहर हंगामा और नारेबाजी हुई. बता दें विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को जीत मिली है. इसके बाद उमर अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री बने.
अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी से अनुच्छेद 370 को बहाल करने की उम्मीद करना मूर्खता होगी. अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें पता था कि इस आशय का एक प्रस्ताव आने वाला है. और कहा कि हकीकत ये है कि 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले को जम्मू-कश्मीर के लोग स्वीकार नहीं करते. अगर उन्होंने इसे मान लिया होता तो आज नतीजा कुछ अलग होता.
नेशनल कांफ्रेंस के पास है बहुमत
नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने 8 अक्टूबर को हुए चुनाव में जीत हासिल की थी. एनसी के पास खुद बहुमत है. उमर अब्दुल्ला सरकार को निर्दलीय और आप विधायकों का पूरा समर्थन हासिल है. इसने जम्मू-कश्मीर में 90 निर्वाचित सीटों में से 42 सीटें जीतीं और उसे चार स्वतंत्र विधायकों के साथ-साथ कांग्रेस विधायकों का भी समर्थन प्राप्त था. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी ने सुनील शर्मा को विधानसभा नेता चुना है. वह राज्य में विपक्ष के नेता होंगे.
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