फर्जी रेप केस में फंसाया गया युवक बेगुनाह साबित, एक साल से जेल में बंद था..अब चलेगा युवती पर मुकदमा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर में भाई को अपने ही साले से झगड़ा होने के कारण भाई को जेल जाना पड़ा, इसके बाद बहन ने बदला लेने के लिए भाई के साले पर फर्जी रेप का झूठा आरोप मढ़ दिया.

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फर्जी रेप केस में फंसाया गया युवक बेगुनाह साबित, एक साल से जेल में बंद था..अब चलेगा युवती पर मुकदमा

Deonandan Mandal

  • October 13, 2024 9:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर में भाई को अपने ही साले से झगड़ा होने के कारण भाई को जेल जाना पड़ा, इसके बाद बहन ने बदला लेने के लिए भाई के साले पर फर्जी रेप का झूठा आरोप मढ़ दिया, इस मामले में युवक को एक साल तक जेल में रहना पड़ा, जो उसने किया ही नहीं. वहीं पीड़िता, उसकी बहन और नानी कोर्ट में बयान से मुकर गईं, इसके बाद अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट योगेश कुमार ने अभियुक्त को दोषमुक्त करार दिया और साथ ही झूठी गवाही देने वाली पीड़िता और उसकी नानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं.

दुष्कर्म मामले में रिपोर्ट दर्ज

आपको बता दें कि महामायापुरम की रहने वाली किशोरी की नानी ने 28 अक्टूबर 2023 को पनकी थाने में मोहल्ले के रहने वाले गोविंद निषाद के खिलाफ दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था कि पीड़िता अपनी बहन और नानी के साथ 26 अक्टूबर की रात घर लौट रही थी, तभी गोविंद पीड़िता का मुंह दबाकर घसीट ले गया और दुष्कर्म किया. पीडि़ता की चीख सुनकर उसकी बहन और नानी दौड़े तो गोविंद चाकू दिखाकर भाग निकला. इस रिपोर्ट के बाद गोविंद निषाद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. अधिवक्ता सलीम ने कहा कि कोर्ट में पीड़िता ने बयान में कहा कि भाई-भाभी का प्रेम विवाह हुआ था.

झूठी बयान दी

गोविंद निषाद उसके भाई का साला है और उसके भाई से गोविंद निषाद का झगड़ा हो गया था, जिसके चलते गोविंद निषाद को जेल जाना पड़ा था, झूठा आरोप में मुकदमा लिखा गया, उसने गुस्से में आकर मजिस्ट्रेट के सामने झूठा बयान दी, घटना की चश्मदीद गवाह पीड़िता की बहन ने बयान में कहा कि उसने गोविंद निषाद को पीड़िता के साथ कुछ गलत करते नहीं देखा और न ही बहन ने उसे कुछ कहा. वहीं पीडि़ता की नानी ने बयान में कहा कि वो पढ़ना-लिखना नहीं जानती और थाने में बैठे आदमी से उसने तहरीर लिखाई थी और इस पर उसने हस्ताक्षर बना दिए. गोविंद निषाद ने कोई घटना नहीं की थी. कोर्ट में गवाहों के मुकरने से अभियोजन की कहानी झूठी निकली और अभियुक्त को बरी कर दिया.

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