Gwalior: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें पहली बार अदालत के भीतर मेडिकल छात्रा की कॉपी जांची गई। हालांकि, वह छात्रा फेल हो गई। दोबारा कॉपी जांचने और फिर फेल होने की वजह से कोर्ट ने छात्रा को फटकार लगाते हुए उसपर जुर्माना भी लगाया। ये पूरा […]
Gwalior: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें पहली बार अदालत के भीतर मेडिकल छात्रा की कॉपी जांची गई। हालांकि, वह छात्रा फेल हो गई। दोबारा कॉपी जांचने और फिर फेल होने की वजह से कोर्ट ने छात्रा को फटकार लगाते हुए उसपर जुर्माना भी लगाया। ये पूरा मामला दतिया मेडिकल कॉलेज का है, जहां की छात्रा आकांक्षा गहलोत ने परीक्षा के कॉपी की दोबारा जांच कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
आकांक्षा मेडिकल की पढ़ाई के पहले सेमेस्टर में एनाटॉमी सब्जेक्ट में फेल हो गई थी। उसका इल्जाम था कि उसे अध्यापक द्वारा कम नंबर दिए गए हैं। इसलिए उसने कॉपी की री-चेकिंग के लिए हाई कोर्ट की सिंगल पीठ में याचिका दायर की थी। हालांकि, सिंगल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद छात्रा ने डबल पीठ के सामने याचिका दायर की, जहां उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने उसकी याचिका को सुना।
कोर्ट ने कॉपी की री-चेकिंग के लिए एनाटॉमी के प्रोफेसर को अदालत में बुलाया। प्रोफेसर अखिलेश त्रिवेदी को कोर्ट रूम में ही कॉपी की जांच करने के लिए कहा गया। प्रोफेसर ने अदालत के निर्देश पर ओएसडी रूम में आकांक्षा की कॉपी को चेक किया। यह पहली बार था जब अदालत में किसी की कॉपी चेक की गई हो।
प्रोफेसर ने कॉपी चेक करने के बाद कोर्ट को बताया कि दो सवालों के जवाब में आकांक्षा को आधा-आधा अंक कम दिया गया है। जिन्हें मैंने बढ़ा दिया है। लेकिन आकांक्षा को पास होने के लिए तीन अंकों की आवश्यकता है, ऐसे में तीन अंकों की कमी के चलते दोबारा चेकिंग के बाद भी आकांक्षा फेल हो गई। प्रोफेसर अखिलेश त्रिवेदी की रिपोर्ट के बाद अदालत ने छात्रा पर जुर्माना लगा दिया और उसकी अपील को भी खारिज कर दिया।
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