512 किलो प्याज बेचने पर फायदा सिर्फ 2 रुपए, किसान ने कहा- ऐसे कैसे जिंदा रहेंगे हम

मुंबई। महाराष्ट्र के सोलापुर के एक किसान ने 512 किलो का प्याज बेचा और उसे बदले में केवल 2.49 रुपए का फायदा हुआ। यह घटना है महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की जहां बंपर उत्पादन के बाद भी किसानों को अच्छा भाव नहीं मिल पा रहा है।

क्या है पूरा मामला

सोलापुर की बार्शी तहसील में रहने वाले 58 वर्षीय किसान राजेंद्र चव्हाण ने बताया कि मैंने सोलापुर मार्केट के प्याज व्यापारी को बिक्री के लिए पांच क्विंटल से ज्यादा वजन के प्याज के दस बोरे भेजे थे। लेकिन लोडिंग, परिवहन और श्रम समेत अन्य शुल्क के कटने के बाद मुझे सिर्फ 2.49 रुपए का फायदा हुआ, उन्होंने बताया कि व्यापारी ने मुझे जिस दर की पेशकश की थी, वह 1 रुपए प्रति क्विंटल थी।

फसल का कुल वजन 512 किलोग्राम था और उपज के लिए उन्हें कुल कीमत 512 रुपए मिली। श्रम, परिवहन और लोडिंग के कामों में ही 509.51 रुपए की कटौती के बाद मुझे 2.49 रुपए का शुद्ध लाभ मिला। यह मेरा और राज्य के अन्य किसानों का अपमान है। अगर हमें इस तरह का रिर्टन मिलता है, तो हम कैसे जिंदा रहेंगे। राजेंद्र ने मांग रखी कि किसानों को प्याज की फसल का अच्छा मूल्य मिलना चाहिए और प्रभावित किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए।

कम दाम मिलने का कारण

किसान राजेंद्र ने बताया कि प्याज अच्छी गुणवत्ता का था लेकिन व्यापारी ने इसे निम्न श्रेणी का बता कर प्याज के दाम को कम कर दिया। वहीं व्यापारी का कहना है कि किसान केवल 10 बोरे लाया था और उपज भी निम्न श्रेणी की थी। यही कारण है कि उन्हें 1 रुपए प्रति क्विंटल की दर मिली।

इसलिए सभी कटौतियों के बाद उन्हें 2 रुपए दिए गए है। उन्होंने बताया कि राजेंद्र ने कुछ दिनों पहले मुझे चार सौ से ज्यादा बोरे बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया था। इस बार वह शेष उपज लाए, जो मुश्किल से दस बोरे थे। चूंकि बाजार में प्याज की कीमत कम है, इसलिए उन्हें फायदा भी कम मिला।

मामले पर किसान नेता राजू शेट्टी का कहना है कि प्याज की शेल्फ लाइफ कम है। प्याज को तुरंत बाजार में बेचने और निर्यात करने की जरूरत है। लेकिन प्याज की अधिकता के कारण बाजार में प्याज की कीमतों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि यह प्याज भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ द्वारा नहीं खरीदा जाता है। जिसके कारण किसानों को प्याज के उत्पादन करने में नुकसान हो रहा है, इसका एकमात्र हल है सरकारी मंडियों के जरिए प्याज की खरीद हो।

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