नई दिल्ली। साल 2021-22 में कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब का मुद्दा पूरे देश में चर्चा में था। दिसंबर 2021 में कर्नाटक उडुपी के कुंडापुर में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल रामकृष्ण बी. जी ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को क्लास में आने से रोका था। उन पर आरोप है कि उन्होंने छात्राओं को धूप […]
नई दिल्ली। साल 2021-22 में कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब का मुद्दा पूरे देश में चर्चा में था। दिसंबर 2021 में कर्नाटक उडुपी के कुंडापुर में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल रामकृष्ण बी. जी ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को क्लास में आने से रोका था। उन पर आरोप है कि उन्होंने छात्राओं को धूप में खड़ा किया। अब कर्नाटक शिक्षा विभाग ने रामकृष्ण बी.जी. को दिए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल पुरस्कार को रोक दिया।
शिक्षा विभाग ने कहा कि तकनीकी समस्याओं के कारण इसमें ‘देरी’ हो सकती है, लेकिन इसके पीछे का कारण नहीं बताया। शिक्षा विभाग ने मंगलवार को दो प्रिंसिपलों – कुंदापुर के रामकृष्ण और ए रामगौड़ा को पुरस्कार देने की घोषणा की। वहीं, उडुपी में पीयू विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि उन्हें पुरस्कार से जुड़े किसी विवाद की जानकारी नहीं है।
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने कुंदापुर के रामकृष्ण का नाम हिजाब विवाद में आने के कारण उनके नाम पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस विवाद के बाद रामकृष्ण ने दावा किया था कि उन्हें गुमनाम नंबरों से नफरत भरे संदेश मिल रहे हैं। एसडीपीआई दक्षिण कन्नड़ के अध्यक्ष अनवर सदाथ बजाथुर ने इस बारे में लिखा, ‘जिस प्रिंसिपल ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से महीनों तक धूप में बाहर खड़ा रखा, उसे प्रिंसिपल होने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस सरकार ने उन्हें राज्य पुरस्कार के लिए क्यों नामित किया है?’
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