लखनऊ: शुक्रवार रात को झांसी के मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में आग लग गई। शिशु वार्ड में लगी इस आग में जलने से 10 मासूमों की मौत हो गई है। इसके साथ ही इस हादसे में कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि यहां पर 55 से […]
लखनऊ: शुक्रवार रात को झांसी के मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में आग लग गई। शिशु वार्ड में लगी इस आग में जलने से 10 मासूमों की मौत हो गई है। इसके साथ ही इस हादसे में कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि यहां पर 55 से ज्यादा बच्चे भर्ती थे। बाहरी वार्ड के सभी बच्चों को बचा लिया गया लेकिन भीतरी वार्ड में 10 बच्चों की मौत हो गई है।
घटना की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि महज पंद्रह मिनट में आग इतनी कैसे फैल गई कि बच्चों को निकाला ही नहीं जा सका? मेडिकल कॉलेज सूत्रों का कहना है कि वहां करीब 54-55 बच्चे थे, जिनमें से ज्यादातर को बचा लिया गया। 37 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया और लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भेजा गया है।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहोर ने बताया, “एनआईसीयू वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे। अचानक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अंदर आग लगी,आग बुझाने की कोशिश की गई लेकिन कमरे में ज्यादा ऑक्सीजन होने की वजह से ये और तेजी से भड़क गई। कई बच्चों को तो बचा लिया गया लेकिन10 बच्चों की मौत हो गई।
एनआईसीयू सर्वोच्च प्राथमिकता वाला वार्ड है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वहां आग बुझाने के लिए पर्याप्त साधन क्यों नहीं थे। जिस समय आग लगी, उस समय कई परिवार वाले अपने बच्चों के साथ मौजूद थे। उनमें से अधिकांश ने वहां भर्ती बच्चों को बाहर निकाला। ऐसे में आग बुझाने के लिए प्रभावी प्रयास क्यों नहीं किए गए? क्या समय पर फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच पाई? ऐसे तमाम सवालों के जवाब अभी मिलने बाकी हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जताया है और 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट मांगी है। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक मौके के लिए रवाना हो गए हैं।
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