जयपुर: राजस्थान के पाली जिले के केरखेड़ा गांव में एक शादी सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन गई। यहां दूल्हे ने दहेज और टीका लेने से इनकार कर समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक सशक्त संदेश दिया। दूल्हे की इस पहल से प्रभावित होकर दुल्हन के पिता तेजसिंह जैतावत ने अपनी बेटी की शादी को समाज के लिए प्रेरणादायक बना दिया।
तेजसिंह जैतावत ने अपनी बेटी के विवाह में दहेज और टीका की प्रथा को खत्म करते हुए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक कम्प्यूटर सेट और आंगनबाड़ी केंद्र में एलईडी स्क्रीन भेंट की। वहीं तेजसिंह की इस पहल को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने उनका भामाशाह के रूप में सम्मान किया। शिक्षकों और स्थानीय निवासियों ने उनकी इस सोच को सराहा है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि यह कदम अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा और शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
तेजसिंह जैतावत ने अपने योगदान से यह संदेश दिया कि दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को खत्म करना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बेटियों को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए और समाज को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इस शादी में दूल्हे का दहेज और टीका न लेने का निर्णय बेहद सराहनीय रहा। उनकी इस पहल ने न केवल दुल्हन के परिवार बल्कि पूरे गांव को दहेज प्रथा पर दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया।
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