September 20, 2024
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सिस्टम से हारकर पिता ने की आत्महत्या, दिव्यांग बेटी को बचाने के लिए कई बार किया रक्तदान लेकिन…

  • WRITTEN BY: Riya Kumari
  • LAST UPDATED : April 19, 2023, 4:37 pm IST

भोपाल: मध्य प्रदेश से एक बार फिर दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहां एक व्यक्ति ने अपनी दिव्यांग बेटी को बचाने के लिए अपना सब कुछ बेच दिया। इतना ही नहीं व्यक्ति ने अपना खून तक बेच दिया लेकिन उसे सरकार या प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली. आखिर में सिस्टम से आजिज आकर व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली.

आजिज आकर दे दी जान

ये पूरा मामला कोलगवां थाना क्षेत्र के ट्रासंपोर्ट नगर निवासी प्रमोद गुप्ता नाम के व्यक्ति से जुड़ा है. 55 वर्षीय प्रमोद की तीन संतानें हैं जिनमें से बड़ी बेटी अनुष्का 21 साल की है और दिव्यांग है. जानकारी के अनुसार पांच साल पहले अनुष्का एक सड़क हादसे की चपेट में आकर पैरालाइज्ड हो गई. उस समय से वह बिस्तर पर है. अनुष्का के पिता उसके ईलाज के लिए हर संभव कोशिश कर रहे थे जहां उन्होंने अपना घर, दुकान और जेवर तक बेच दिया लेकिन इलाज के पैसों की जरूरत बनी रही.

पांच साल पहले हुआ था एक्सीडेंट

इसके बाद प्रमोद ने दूसरों के यहां नौकरी की और अपनी बेटी को बेहतर इलाज के लिए इंदौर ले आए. उपचार में लाखों रुपयों का खर्च होता रहा लेकिन अनुष्का की हालत ज्यों की त्यों बनी रही. बिस्तर पर लेटे-लेटे ही उसने 10वीं की पढ़ाई की जिसे उसके 76 फीसदी अंक आए. पढ़ने का शौक रखने वाली अनुष्का को मेधावी छात्रा का सम्मान भी मिला. मौजूदा कलेक्टर अनुराग वर्मा ने युवती को सम्मान दिया था और भरोसा दिलाया था कि आगे की पढ़ाई करने में प्रशासन उसकी मदद करेगा. लेकिन अनुष्का के परिवार को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला.

…तो पापा ज़िंदा होता

प्रशासन से हमदर्दी मिलने की आस में पिता प्रमोद अपना बीपीएल कार्ड लेकिन तमाम सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाते रहे. दूसरी ओर उनपर कर्ज चढ़ चुका था और दो वक्त की रोटी के लिए उन्होंने अपना खून तक बेचना शुरू कर दिया. लेकिन सरकारी तंत्र से टूटकर आखिरकार प्रमोद ने मौत को गले लगा लिया. कल यानी मंगलवार (18 मार्च) सुबह प्रमोद गुप्ता ने मुख्त्यारगंज रेलवे फाटक पर ट्रेन से कटकर जान दे दी. सिविल लाइन थाना पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. जानकारी के अनुसार मरने से पहले प्रमोद गुप्ता ने अपनी बेटी को फोन भी मिलाया था और आखिर बार ये कहा कि उनकी हिम्मत जवाब दे गई है. वहीं छात्रा और प्रमोद की बेटी का आरोप है कि आज यदि प्रशासन ने उनकी मदद की होती तो उसके पिता ज़िंदा होते.

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