भारत और कनाडा के बीच तनाव का महौल जारी,इंडिया तोड़ सकता है कनाडा की आर्थिक कमर

कनाडा : भारत और कनाडा के बीच तनाव का महौल लगातार बना हुआ है। खालिस्तान के समर्थन को लेकर प्रधानमंत्री जस्टिन की जमकर अलोचना हो रही है। इस दौरान तमाम लोगों के तरह-तरह के एक्शन और रिएक्शन सामने आ रहा है। कनाडा की कार्यवाही से भारतीय छात्र समुदाय औऱ उनके परिवार वालों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है।

इस सभी बातों के बीच भारत के पास कनाडा की वह कमजोर नब्ज हाथ में है जिस पर चोट उसके लिए काफी दिक्कते सामने खड़ी कर देगी। बता दे कनाडा की कमजोरी इकॉनमी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर निर्भर करती है। वहीं कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या अच्छी- खासी है। जो मोटी फीस के बदले में वहां की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की बहुत बड़ी संख्या में आर्थिक सहायता करता है।

कनाडा के मामले में बड़ा कदम उठा सकता है भारत

बता दें, भारत को भी इस बात का अंदाजा है कि कनाडा के मामले में वह बड़ा कदम उठा सकता है। अगर भारत इस मामले में संज्ञान लेता है तो कनाडा की सांसे अटत जाएंगी। वहीं अगर इस बीच अगर भारत अपने यहां से छात्रों के कनाडा जाने पर रोक लगा सकता है। जानकारों के अनुसार ऐसा होते ही जिन प्राइवेट यूनिवर्सिटी जिन्हें सरकार की तरह से किसी भी प्रकार की मदद नहीं दी जातीहै। वह पूरी तरह से समाप्त हो सकती है। आकड़ो के अनुसार कनाडा की इकॉनमी में 30 बिलियन डॉलर तक का योगदान करते हैं।

कनाडा को होगा भारी नुकसान

हालांकि इस बीच कनाडा के ऑडिर- जनरल बोनी लिसिक ने पैसे के मामले में अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर निर्भरता को गिनवा चुके है। 2021 की रिपोर्ट के अनुसार अगर किसी भी कारण की वजह से अगर कुछ देशों के छात्र कनाडा में प्रवेश नहीं कर पाते है तो राजस्व को बड़े पैमाने पर नुकसान होता है।

ऐसे में अगर एक ऐसा देश अपने छात्रों 40 फीसदी है तो क्या होगा। वहीं कनाडा सरकार के आकड़ो के मुताबिक 2022 में कनाडा में 5.5 लाख अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख छात्र भारत से थे। वही 3.2 लाख छात्र कनाडा में वीजा लेकर रह रहे थे और कनाडा की अर्थवयवस्था में मदद करते है।

छात्रों की संख्या में कमी

हाल ही में कुछ अंतरराष्ट्रीय आर्टिकल्स में भी इस बात को लेकर चिंता जताई गई थी। इसमें लिखा गया था कि भारत और कनाडा के बीच चल रहे तनाव के बीच छात्रों की संख्या में कमी आई है। कनाडा सरकार द्वारा जारी आकड़े के अनुसार यहां आने वाले आठ लाख छात्रों में 40 फीसदी छात्र भारतीय हैं।

यहां कनाडाई छात्र जितनी फीस देते है, भारतीय छात्र तीन से पांच फीसदी ज्यादा फीस देते है। अगर देखा जाए तो कनाडा की प्राइवेट यूनिवर्सिटी का इकोसिस्टम पूरी तरह भारतीय छात्र पर निर्भर करता है।

पैरेंट्स के बीच चिंता का माहौल

गौरतलब है कि जो छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं, उन सभी के पैरेंट्स के बीच चिंता का माहौल है। काफी चिंता है। वहीं मीडिया के अनुसार ब्रांपटन में रहने वाले एक भारतीय छात्र ने बताया कि भारतीय छात्र समुदाय में खलिस्तानी धमकियों और इस पर टुडो के स्टैंड की चर्चा है।

बता दें फिलहाल लुधियाना के छात्र परमिटके आधार पर कनाडा में रह रहे है। लेकिन भारत के बढ़ते कदम को लेकर औऱ हालिया रेस्क्यू ऑपरेशन को देखते हुए कांफिडेंट है। और उन्हें सरकार पर पूरा भरोसा है।

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