पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में अभी करीब एक साल बाकी है. सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार दौरे पर हैं और कुछ ही दिनों में उपेन्द्र कुशवाहा भी आने वाले हैं. संवाद कार्यक्रम के तहत दौरे पर निकले तेजस्वी यादव न सिर्फ सरकार को घेर रहे हैं […]
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में अभी करीब एक साल बाकी है. सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार दौरे पर हैं और कुछ ही दिनों में उपेन्द्र कुशवाहा भी आने वाले हैं. संवाद कार्यक्रम के तहत दौरे पर निकले तेजस्वी यादव न सिर्फ सरकार को घेर रहे हैं बल्कि अभी से चुनावी वादे भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि अगर उनकी सरकार बनी तो राज्य में 200 यूनिट बिजली मुफ्त कर दी जाएगी.इसके साथ ही वह जमीन सर्वे को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं.
वहीं, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मैदान में हैं और उन्होंने वादा किया है कि अगर सरकार बनी तो एक घंटे के अंदर शराबबंदी खत्म कर देंगे. ऐसे में सवाल ये है कि जमीन, शराब और स्मार्ट मीटर (LWS) का फैक्टर नीतीश कुमार के लिए कितना चुनौतीपूर्ण होगा? रिपोर्ट पढ़ें. बिहार में 20 अगस्त से जमीन सर्वे कराया जा रहा है. बिहार में भूमि सर्वेक्षण एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. जमीन सर्वे को लेकर बीजेपी के कई नेता विरोध जता चुके हैं.
पिछले रविवार, 15 सितंबर को तेजस्वी यादव ने कहा था कि जमीन सर्वे में भ्रष्टाचार बढ़ गया है. स्मार्ट बिजली मीटर में भ्रष्टाचार हो रहा है. बिजली महंगी हो गई है. सरकार में इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. वहीं तेजस्वी ने कहा कि बिहार में अपराध चरम सीमा पर है. ब्लॉक या थाने जाओ, यह किसी का काम नहीं है। पुलिस के लिए एक काम बचा है शराबबंदी के दौरान पैसे की वसूली करना.
बिहार में इन दिनों सरकार तीन मुद्दों (जमीन सर्वे, शराब और स्मार्ट मीटर) पर घिरी हुई है. इसका आगामी विधानसभा चुनाव पर क्या असर होगा, ये जानने के लिए हमने एक राजनीतिक विश्लेषक से बात की. बिहार के राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने कहा कि जिस तरह से चुनाव में एक साल बचा है और जिस तरह से भूमि सर्वेक्षण का काम चल रहा है, उससे लोगों में नाराजगी की स्थिति जरूर है. ये नीतीश सरकार के लिए खतरे की घंटी नजर आ रही है.
संतोष कुमार ने कहा कि जमीन सर्वे से कई लोग नाखुश हैं. कुछ लोग खुश हैं लेकिन जो लोग बाहर रह रहे हैं उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कई लोगों के पास उचित दस्तावेज नहीं होते हैं. बिहार सरकार के अधिकारी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. जो अंचल अधिकारी या कर्मचारी किसी की जमीन किसी के नाम पर दर्ज कर देता है, वही काम जमीन सर्वे में भी करता है. इससे लोगों में आक्रोश बढ़ गया है.
संतोष कुमार ने कहा कि रिकॉर्ड है कि आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी सरकार ने भी चुनावी साल में भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने का अभियान शुरू किया था. इसका खामियाजा उन्हें सत्ता से बाहर जाकर भुगतना पड़ा। इसलिए बिहार सरकार को चुनाव में कोई दिक्कत न हो इसके लिए सर्वे का काम तुरंत बंद कर देना चाहिए, नहीं तो आंध्र प्रदेश जैसे हालात पैदा हो सकते हैं.