पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव हाल ही में भोजपुरी भाषा की वकालत करते नज़र आए. लेकिन इस दौरान उन्होंने एक अटपटा सा बयान दे दिया. जहां भोजपुरी भाषा से अपना जुड़ाव बताते हुए उन्होंने इसे आंठवी के बजाय पहली अनुसूची में शामिल करने की बात कह दी. […]
पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव हाल ही में भोजपुरी भाषा की वकालत करते नज़र आए. लेकिन इस दौरान उन्होंने एक अटपटा सा बयान दे दिया. जहां भोजपुरी भाषा से अपना जुड़ाव बताते हुए उन्होंने इसे आंठवी के बजाय पहली अनुसूची में शामिल करने की बात कह दी. उनका मानना है कि भोजपुरी को टॉप पर नंबर 1 में रखना चाहिए. आइए जानते हैं इस बयान के पीछे की कहानी.
बिहार की महागठंधन सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालय के मंत्री और लालू यादव के बेटे तेज प्रताप का अलग अंदाज़ एक बार फिर उनपर भारी पड़ गया है. बोलने की शैली की बात करें तो तेज प्रताप के समर्थक यहां तक की खुद वह भी मानते हैं कि वह लालू प्रसाद से कम नहीं हैं. हाल ही में उनकी यही बोली उनपर भारी पड़ गई है. दरअसल तेज प्रताप ने एक न्यूज़ पोर्टल को अपना इंटरव्यू दिया. जहां वह भोजपुरी भाषा के बारे में अपने प्रेम की बात कर रहे थे. इस दौरान भाषा के प्रेम से वह काफी उत्साहित हो गए. जहां तेज प्रताप ने कहा, ‘इसको आठवीं अनुसूचि में क्या, इसे तो नंबर वन में डालना चाहिए.’ बस इसी अटपटे बयान को लेकर इस समय वह चर्चा में हैं.
दरअसल साल 1960 से भोजपुरी भाषा को संविधान के 8वीं अनुसूची में शामिल करने की माँग उठ रही है. बता दें, संविधान के 8वीं अनुसूची में उन भाषाओं को जगह दी गई है जिसकी अपनी कोई लिपि हो और जिसे बोलने वालों की संख्या अधिक हो. इस सूची में शामिल सभी भाषाएं आधिकारिक रूप से भाषा की श्रेणी में आती हैं. यदि कोई भाषा इस श्रेणी से बाहर है तो वह अब तक केवल बोली ही है जैसा भोजपुरी के साथ हो रहा है. इसके भाषा ना होने के पीछे तर्क यह है कि भोजपुरी कि अपनी कोई लिपि नहीं होती है.
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