Tamilnadu : दलितों की पानी की टंकी में फेंका गया मानव मल

हैदराबाद : पेरियार आंदोलन का गढ़ कहलाने वाले तमिलनाडु केएक गांव से जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है. हैरान कर देने वाले इस मामले में गाँव के अनुसूचित जाति (दलित) समुदाय के लिए बनी पानी की टंकी में मानव मल फेंका गया. मामले की जांच में जुटे जिला अधिकारियों ने पाया कि जातिगत विद्वेष […]

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Tamilnadu : दलितों की पानी की टंकी में फेंका गया मानव मल

Riya Kumari

  • December 29, 2022 3:42 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

हैदराबाद : पेरियार आंदोलन का गढ़ कहलाने वाले तमिलनाडु केएक गांव से जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है. हैरान कर देने वाले इस मामले में गाँव के अनुसूचित जाति (दलित) समुदाय के लिए बनी पानी की टंकी में मानव मल फेंका गया. मामले की जांच में जुटे जिला अधिकारियों ने पाया कि जातिगत विद्वेष यहीं खत्म नहीं हो जाता,इस गाँव में दलित समुदाय के प्रति छुआछूत का चलन भी मुसीबत बना हुआ है. इस गाँव में छुआछूत का चलन इस हद तक है कि स्थानीय चाय की दुकानों में दो गिलास तक की व्यवस्था है. दलितों को मंदिर परिसर में भी जाने की अनुमति नहीं दी गई है.

सौ लोग पीते हैं पानी

मंगलवार को पुडुकोट्टई की कलेक्टर कविता रामू और जिला पुलिस प्रमुख वंदिता पांडे नेमध्य तमिलनाडु के इरायुर गांव का दौरा किया. इस गांव में 10,000 लीटर की पानी की टंकी स्थित है. इस टंकी को दलितों के लिए अलग किया गया है. तो पाया गया कि इसमें भारी मात्रा में मानव मल था. यह टंकी दलित समुदाय के करीब 100 लोगों के लिए पीने के पानी की आपूर्ति होती है.

बच्चे हुए बीमार

ग्रामीणों ने बताया कि हाल ही के दिनों में उनके गांव के कई बच्चे अचानक बीमार हुए. डॉक्टरों ने जब पेयजल स्रोत में समस्या की बात कही तो कुछ युवकों ने पानी की टंकी पर चढ़कर जांच की. इलाके के राजनीतिक कार्यकर्ता मोक्ष गुनावलगन ने एक अन्य मीडिया चैनल को बताया- “पाया गया कि पानी की टंकी के अंदर बड़ी मात्रा में मल फेंका गया है. पानी गहरा पीला हो गया था. इसके बारे में जाने बिना एक हफ्ते से लोग इस पानी को पी रहे थे. जब बच्चे बीमार हुए, तभी सच्चाई सामने आई.”

हलाँकि अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस टंकी में मानव मल किसने फेंका है. बीते कुछ दिनों में पानी की टंकी के चारों ओर की बाड़ खोल दी गई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गाँव में भेदभाव की समस्या बेहद गंभीर है. जहां दलितों को गांव के मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी गई. गाँव की ही एक 22 वर्षीय युवती ने बताया कि अपने जीवन में वह कभी मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई है. फिलहाल इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.

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