तमिलनाडु के करूर जिले की महालक्ष्मीअम्मन मंदिर में परंपरा के नाम पर पुजारी सैकड़ों श्रद्धालुओं के सिर पर नारियल फोड़ते हैं. यह परंपरा यहां मनाए जाने वाले एक पर्व अडी पेरक्कू के दौरान निभाई जाती है. दो दिन तक श्रद्धालु बढ़चढ़ कर इस परंपरा का हिस्सा बनते हैं. इस रस्म के दौरान कई लोग घायल भी होते हैं.
करूर. हमारे देश में भगवान की पूजा के लिए नारियल का काफी ज्यादा महत्व है. ऐसे में तमिलनाडु के एक गांव की मंदिर में नारियल से निभाई जाने वाली एक रस्म आपको हैरान कर देगी. दरअसल अडी पेरक्कू नामक एक पर्व मनाने के लिए करूर जिले के एक गांव में स्थित महालक्ष्मीअम्मन मंदिर में एक रस्म के अनुासार, पुजारी भक्तों के सिर पर नारियल फोड़ते हैं. इसी दौरान कई श्रद्धालु घायल भी होते हैं लेकिन भगवान की भक्ति में लीन होकर वे सभी दुख दर्द भूल जाते हैं. सोसल मीडिया इस परंपरा का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है.
गौरतलब है कि श्रद्धालुओं का मानना है कि पुजारी द्वारा सिर पर नारियल फोड़ने से उनकी जीवन में बाधाएं और दुख- समस्याएं दूर हो जाती हैं. मंदिर में यह रस्म दो दिन के लिए निभाई जाती है जिसमें श्रद्धालु बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. हालांकि सिर पर नारियल फोड़ने विचार काफी डरावना है. लेकिन लोगों में मान्यता है कि इस खतरनाक रस्म को पूरा करने से उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे. जो लोग मंदिर में कोई मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं और वह पूरी हो जाती है तो अगली बार वे अपने साथ एक नारियल भी लाते हैं.
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बता दें कि नारियल फोड़ने से पहले श्रद्धालुओं की आंखों को हाथों से ढक दिया जाता है. जिसके बाद उनके सिर पर नारियल फोड़ा जाता है. सिर पर नारियल फोड़ने के बाद हल्दी से निर्मित एक दवाई सिर पर लगा दी जाती है. स्थानीय पुलिस- प्रशासन के सामने खुलकर यह रस्म पूरी की जाती है. इस परंपरा को लेकर कई बार विवाद भी खड़े हो चुके हैं. लोग इस परंपरा की वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर शेयर कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस परंपरा की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी. दरअसल अंग्रेज इस इलाके में रेलवे लाइन बिछाना चाहते थे लेकिन गांव के लोग इस बात का जमकर विरोध कर रहे थे. लाइन बिछाने के दौरान अंग्रेजों को एक नारियल के जैसा पत्थर मिला. अंग्रेजों ने ग्रामीणों से शर्त रखी की ग्रामीण इस पत्थर को सिर से फोड़ देंगे तो रेलवे लाइन का रास्ता बदल दिया जाएगा. गांव वालों ने अंग्रेजों की शर्त पूरी की और उस घटना के बाद उन लोगों के सम्मान में यह परंपरा निभाई जा रही है.
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