नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एनसीआर और आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से फसल अवशेष जलाने को रोकने के लिए उठाए जा रहे उपायों के बारे में जानकारी मांगी हैं। अदालत ने यह कदम उन चिंताओं के बाद उठाया है, जो पराली जलाने के कारण दिल्ली और इसके आस-पास के राज्यों में प्रदूषण बढ़ने को लेकर जताई जा रही हैं।
बता दें, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीएक्यूएम से 27 सितंबर को इस मुद्दे पर होने वाली सुनवाई में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने को कहा है। अदालत इस बात पर विशेष ध्यान दे रही है कि किस तरह से फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह समस्या हर साल सर्दियों के मौसम में गंभीर रूप से उभरती है और इससे दिल्ली-एनसीआर के निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र के रूप में अदालत की मदद कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कुछ अखबारों की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं। उन्होंने कोर्ट का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि इन घटनाओं के चलते दिल्ली में हवा की गुणवत्ता और भी खराब हो सकती है, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम को निर्देश दिया है कि वह अगले कुछ दिनों में फसल अवशेष जलाने को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करे, ताकि इस गंभीर समस्या का समाधान ढूंढा जा सके।
यह भी पढ़ें: पेड़ों के हरे पत्ते खाने पर मालिक के खिलाफ केस दर्ज, कई भैंसें गिरफ्तार