Supreme Court: बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की शपथ को गलत बताने वाली याचिका SC से खारिज

नई दिल्ली। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दोबारा शपथ दिलाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से ली गई शपथ को तकनीकी रूप से गलत बताने वाली अपील पर […]

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Supreme Court: बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की शपथ को गलत बताने वाली याचिका SC से खारिज

Arpit Shukla

  • October 14, 2023 10:04 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दोबारा शपथ दिलाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से ली गई शपथ को तकनीकी रूप से गलत बताने वाली अपील पर कड़ी नाराजगी जताई है।साथ ही अदालत ने समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि याचिका में यह भी कहा गया था कि बॉम्बे उच्च न्यायालय महाराष्ट्र के अलावा गोवा का भी हाई कोर्ट है, इसलिए इस समारोह में गोवा के राज्यपाल को भी शामिल किया जाना चाहिए।

क्या कहा अदालत ने?

देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तुच्छता की एक सीमा होती है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट का समय बर्बाद किया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीश आधी रात को भी याचिकाओं पर सुनवाई करते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप शपथ को चुनौती दे रहे हैं क्योंकि राज्यपाल ने मैं कहा था और मुख्य न्यायाधीश ने शपथ लेते वक्त मैं शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा कि अब से न्यायालय इस तरह की आधारहीन याचिकाओं को अदालत के सामने आने से रोकने के लिए अग्रिम लागत लगाना शुरू करेगा।

याचिकाकर्ता की दलील

इस मामले पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि सुनवाई से पहले उसकी याचिका को आधारहीन न बताया जाए। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पक्ष सुने बिना यह तय नहीं किया जा सकता कि ये आधारहीन है अथवा नहीं। इसके जवाब में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह की आधारहीन याचिकाएं कोर्ट का कीमती समय लेती हैं और महत्वपूर्ण मामलों को लेने से न्यायालय का ध्यान भी भटकाती हैं और ऐसे मामलों पर अब जुर्माना लगाने का वक्त आ गया है।

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