नई दिल्ली। विधानसभा से पारित बिल को मंजूरी देने में राज्यपाल की ओर से देरी के खिलाफ पंजाब सरकार ने याचिका दायर की थी। इस मामले पर सॉलिसीटर जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) को बताया कि राज्यपाल ने सभी 7 बिल पर फैसला ले लिया है। उन्होने कहा कि जल्द ही सरकार को इसकी […]
नई दिल्ली। विधानसभा से पारित बिल को मंजूरी देने में राज्यपाल की ओर से देरी के खिलाफ पंजाब सरकार ने याचिका दायर की थी। इस मामले पर सॉलिसीटर जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) को बताया कि राज्यपाल ने सभी 7 बिल पर फैसला ले लिया है। उन्होने कहा कि जल्द ही सरकार को इसकी जानकारी दे दी जाएगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को कोई बिल सरकार को वापस भेजने का भी अधिकार है लेकिन मामला अदालत तक आने से पहले राज्यपालों को निर्णय लेना चाहिए। अदालत ने पंजाब में विधानसभा सत्र लगातार चालू रखने पर भी सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि यह संविधान में दी गई व्यवस्था नहीं।
पंजाब सरकार ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शादान फरासत के जरिए अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में पंजाब के राज्यपाल के प्रधान सचिव को पहले प्रतिवादी के तौर पर रखा गया है। इस याचिका में तर्क दिया गया था कि संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक सरकार द्वारा दी गई सहायता और सलाह के अनुसार राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाना पड़ता है।