Superstition : कोरोना संकट के भय से अब अंधविश्वास का दौर भी शुरू हो गया है. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, वाराणसी के बाद अब तमिलनाडु के प्रसिद्ध मंदिर में लोग कोरोना देवी की मूर्ति बनाकर उसकी सुबह शाम विधि-विधान से पूजा करने का मामला सामने आ रहा है.
नई दिल्ली. कोरोना संकट के भय से अब अंधविश्वास का दौर भी शुरू हो गया है. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, वाराणसी के बाद अब तमिलनाडु के प्रसिद्ध मंदिर में लोग कोरोना देवी की मूर्ति बनाकर उसकी सुबह शाम विधि-विधान से पूजा करने का मामला सामने आ रहा है.
वहीं ये मंदिर तमिलनाडु के कोयंबटूर में कामचीपुरी अधिनाम का मंदिर है जहां कोरोना देवी को मूर्ति के रूप में आकृति देकर पूजा हो रही है.
इस पर टिप्पणी करते हुए, कामचचीपुरी अधिनाम के श्री शिवलिंगेश्वर स्वामी के स्वामी ने कहा, “आज, मानव जीवन कोरोनवायरस से बाधित हो गया है. इतिहास में रिकॉर्ड हैं, देश में खसरा और हैजा के कारण कई लोगों की जान चली गई.मरिअम्मन, मगलीअम्मन और करुमरीअम्मन ने गांवों में इस विश्वास के साथ पूजा की है कि देवता असहायों का सहायक है. जिन स्थानों पर नीम के पत्तों वाले घड़े रखे गए और उनकी पूजा की गई, वे बाद में मंदिरों में बदल गए. यह लोगों द्वारा बनाया गया एक पंथ है, भले ही इस पर कोई शास्त्र नहीं लिखा गया हो.
इसी तरह, आज देवी कोरोना की एक काले पत्थर की मूर्ति स्थापित करने और 48 दिवसीय महायज्ञ इस विश्वास के साथ करने का निर्णय लिया गया है कि देवी लोगों को कोरोनोवायरस पीड़ितों के प्रति भय और भेदभाव से बचने में मदद करती है. किसी भी भक्त को यह पूजा करने की अनुमति नहीं है. महायज्ञ में सिर्फ मंदिर के कर्मचारी ही शामिल हो सकते हैं. आज देवी कोरोना की पूजा उतनी ही जरूरी है जितनी प्राचीन गांवों में मरियम्मन और महालिअम्मन की उपस्थिति.
बता दें मंदिर के अधिकारियों ने घातक कोरोनावायरस के प्रकोप के मद्देनजर लोगों को कोविड -19 से बचाने के लिए समर्पित एक ‘कोरोना देवी’ बनाने और पवित्र करने का फैसला किया है.अधिनाम के प्रभारी शिवलिंगेश्वर ने कहा कि लोगों को विपत्तियों और बीमारियों से बचाने के लिए देवताओं को बनाने की प्रथा रही है.
भ्रांतियां और अंधविश्वास फैलते देर नहीं लगती. कोरोना काल में भी यही हो रहा है. महामारी के बढ़ते संकट के बीच लोग भगवान को याद कर रहे हैं तो इसी दौरान अंधविश्वास के चलते कोरोना मो माई मानकर उसकी पूजा भी शुरू हो गई है.
बता दें वाराणसी के जौन घाट पर कोरोना को देवी मानकर उन्हें प्रसन्न करने के लिये महिलाओं द्वारा 21 दिनों तक पूजा का मामला सामने आया है. उन्हें लगता है कि पूजा कर इस महामारी से बचा जा सकता है.
गांवों में कोरोना संक्रमण फैलते ही अंधविश्वास भी बढ़ा है.. आजमगढ़ कोरोना माई को खुश करने के लिए कपसा मडयां, सिकरौर, पुष्पनगर, बस्ती, ओहदपुर, आदि गांवों में डिह स्थान या खेत में पूडी, हलवा चढ़ा कर और पूरब दिशा में धार देकर महिलाएं कोरोना माई को प्रसन्न करती नजर आयीं. इतना ही नहीं पूजा पाठ के लिये ओझा और ब्राह्रपूजा पाठ के लिए ओझा व ब्राह्मणों की भी मदद ली गयी. महिलाओं का तर्क है कि जनहानि इसलिये बढ़ी है क्योंकि कोरोना माई नाराज हो गई हैं. उनका कहना है कि माई को खुश करके इसे रोका जा सकता है.