शर्मनाकः जान जोखिम में डाल नाव से यमुना पार कर दिल्ली के इस इलाके में बच्चे जाते हैं स्कूल

देश में शिक्षा का अधिकार कानून इसलिए लागू हुआ था कि बच्चों को बिना किसी शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के शिक्षा मिल सके. लेकिन दूसरे कानून की तरह बच्चों के लिए बना यह कानून भी लापरवाही की भेंट चढ़ गया. ना केवल गांव बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी बच्चों को स्कूल जाने के लिए कई किलोमीटर का सफर अपनी जान पर खेल कर करना पड़ता है लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं क्योंकि बच्चे वोटबैंक नहीं होते.

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शर्मनाकः जान जोखिम में डाल नाव से यमुना पार कर दिल्ली के इस इलाके में बच्चे जाते हैं स्कूल

Aanchal Pandey

  • February 8, 2018 2:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः आपने कई बार टीवी में देखा होगा या खबरों में पड़ा होगा की गांवों में स्कूल जाने के लिए बच्चों को घंटों पैदल सफर तय करना पड़ता है. कई जगह बच्चे और भी कठिनाईयों को झेलकर और अपनी जान पर खेल कर स्कूल जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है यह कहानी केवल गांवों के बच्चों की नहीं है. देश की राजधानी दिल्ली में भी बच्चे इन कठिनाईयों को दो-चार होते हुए स्कूल जाते हैं. यमुना पार रहने वाले बच्चे नाव से कई किमी यमुना पार करके स्कूल जाते हैं.

मयूर विहार फेज 1 के पास चिल्ला खादर में रहने वाले दो बच्चों के पिता 34 वर्ष के राजेश साहिनी बताते हैं कि अगर हम बच्चों को नाव से नहीं छोड़ते हैं तो उन्हें दो किलोमीटर चलना पड़ता है. इसलिए जिसके पास भी समय होता है वह बच्चों को छोड़ आता है. डीएनडी से बच्चे पैदल ही स्कूल जाते हैं. हालांकि दोपहर में बच्चे खुद ही आ जाते हैं क्योंकि उस समय कोई जल्दी नहीं होती.

बता दें कि देश में प्रत्येक बच्चे को शिक्षा दिलाने के लिए बने शिक्षा के अधिकार के तहत कोई भी प्राइमरी स्कूल 1 किमी के दायरे में ही होना चाहिए वहीं प्राइमरी से ऊपर वाले बच्चों के लिए 3 किमी के दायरे में स्कूल होना चाहिए. लेकिन यह सब कहनी की ही बाते हैं. इस बारे में एक अधिकारी का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि दिल्ली में स्कूल 3 किमी के दायरे में है या नहीं उनका कहना है कि दिल्ली बहुत बड़ा शहर है तो यह कहना मुश्किल होगा कि राजधानी में शिक्षा के अधिकार के कानून के अनुसार तीन किमी के दायरे में स्कूल क्यों नहीं हैं.

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